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पंजाब- हरियाणा को जोड़ने वाला सड़क संपर्क मार्ग टूटा : तीन गांवों की सैकड़ों एकड़ में फसलें पानी में डूबी

संगरूर, 13 जुलाई (निस) लहरागागा मुख्य ड्रेन आरडी-35900 पर 1 करोड़ 90 लाख रुपये की लागत से ड्रेन विभाग द्वारा बनाए जा रहे पुल को लेकर विभाग की कथित लापरवाही सामने आई है। लापरवाही के कारण तीन गांवों भुटाल, लेहल...
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संगरूर, 13 जुलाई (निस)

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लहरागागा मुख्य ड्रेन आरडी-35900 पर 1 करोड़ 90 लाख रुपये की लागत से ड्रेन विभाग द्वारा बनाए जा रहे पुल को लेकर विभाग की कथित लापरवाही सामने आई है। लापरवाही के कारण तीन गांवों भुटाल, लेहल खुर्द और लेहल कलां के किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलें पानी में डूब गई हैं, जबकि हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाला सड़क संपर्क टूट गया है। अपनी फसल बचाने के लिए जुटे किसानों ने पुल निर्माण के लिए बनाए गए अस्थायी रास्तों को तोड़ दिया, जिससे नाले के पानी की निकासी तो शुरू हो गई है, लेकिन खेतों में भरा पानी निकलेगा या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहे पुल का काम बीच में ही अटका पड़ा था। जबकि पुल बनाने का काम फरवरी में शुरू हो गया था। रास्ता टूटने से राहगीरों, खासकर महिलाओं और स्कूली बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं लहरागागा से मूनक जाने वालों के लिए उक्त पुल जी का जंजाल बन गया है। पुल निर्माण में हो रही देरी के कारण किसानों और आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में एक पुल निर्माण के चलते वहां से गुजर रही भूमिगत पाइप लाइन टूट गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ, लेकिन इसके बावजूद विभाग ने कोई सबक नहीं लिया। लगातार हो रही बारिश के बावजूद बरसाती पानी की निकासी के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए। इसका खामियाजा किसानों, गांव निवासियों और राहगीरों, स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है। लेहलकलां गाँव के किसान और वर्तमान पंच सुखविंदर सिंह ने बताया कि विभाग और ठेकेदार ने बारिश के पानी की निकासी का उचित प्रबंध नहीं किया, जिससे 100 एकड़ ज़मीन जलमग्न हो गई, कुछ घर भी प्रभावित हुए। किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए विभाग द्वारा बनाई गई अस्थायी सड़क तोड़ दी। लेकिन अगर फसलों से पानी नहीं निकला, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पहले भी विभाग या अधिकारियों ने किसानों या ग्रामीणों की बात नहीं सुनी। अगर पुल एक महीने पहले बनकर तैयार हो जाता, तो किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं होता और न ही राहगीरों को कोई असुविधा होती।

इस संबंध में ड्रेनेज विभाग के एसडीओ चेतन गुप्ता ने कहा कि बारिश के पानी की निकासी के इंतजाम किए गए थे, लेकिन नहर विभाग द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि सफाई का काम चल रहा है।

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