लुधियाना 31 जुलाई (निस)
पंजाब में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पंजाब चैप्टर ने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के मुद्दे पर कड़ा संज्ञान लिया है। इस प्रकरण में यूनिवर्सिटी के उप कुलपति और विश्व के जाने माने रीढ़ विशेषज्ञ डॉ राज बहादुर को फरीदकोट के सरकारी अस्पताल के चमड़ी विभाग के एक वार्ड में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौरमाजरा ने गंदे गद्दे पर लिटा दिया था। आईएमए ने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री को हटाने और सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। पंजाब आईएमए के अध्यक्ष डॉ. परमजीत सिंह मान ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री जौरमाजरा के रवैये की कड़ी निंदा की और उनसे सार्वजनिक रूप से माफी और उन्हें कैबिनेट से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को स्वास्थ्य मंत्री की जगह मेडिकल बिरादरी से संबंधित अपनी पार्टी के किसी एक विधायक को स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त करना चाहिए।’ आईएमए के प्रधान नें धमकी दी है कि अगर उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो आईएमए कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होगी। डॉ. सुनील कात्याल महासचिव, डॉ नवजोत धईया इस संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पंजाब आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ मनोज सोबती और आईएमए की स्थानीय इकाई के प्रधान डॉ. बिमल कनिश भी इस अवसर पर मौजूद थे। आईएमए ने पूरे प्रकरण की जांच की मांग की भी की है।
डॉ. मान ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि उप कुलपति और मेडिकल बिरादरी को हतोत्साहित करने के लिए रची गई साजिश थी । इस बीच पीसीएमएसए इकाई की राज्य इकाई के अध्यक्ष डॉ अखिल सरीन ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए कहा, ‘पंजाब सरकार को स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की जवाबदेही तय करने से पहले धन की कमी, कर्मचारियों की कमी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के मुद्दों को संबोधित करने की जरूरत है। डॉक्टरों की पिछली कैडर समीक्षा 90 के दशक में की गई थी, तब तक कि आबादी के उस समूह के साथ भी, सरकारी अस्पतालों में करीब 1,000 डॉक्टरों की कमी है।