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किसान आंदोलन ही है कॉर्पोरेट हमले को रोकने वाली सशक्त ढाल : भाकियू (राजेवाल)

अंतर्राष्ट्रीय मुक्त व्यापार समझौतों के विरोध में बांटे परचे
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भाकियू (राजेवाल) के कार्यकर्ता मंगलवार को समराला शहर की दुकानों में परचे बांटते हुए।-निस
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समराला, 27 मई (निस)

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के कार्यकर्ताओं द्वारा आज स्थानीय बाजारों में यूनियन के ब्लॉक प्रधान कुलविंदर सिंह पूरबा के नेतृत्व में वैश्विक टैक्स मुक्त व्यापार समझौतों से आम आदमी और व्यापारियों को होने वाले कथित नुकसान को उजागर करते हुए पोस्टर वितरित किए गए।

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कुलविंदर सिंह पूरबा ने बताया कि ‘भारतमाला प्रोजेक्ट’ के तहत दुनिया भर में सड़क व्यापार के लिए सड़कें बनाने हेतु केवल पंजाब की उपजाऊ ज़मीनें ही नहीं छीनी जा रही हैं, बल्कि सड़कों का यह जाल पूरे बाजार को कॉर्पोरेट्स के हवाले करने की एक साजिश है।

अमेज़न और वॉलमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों ने अपने ऑनलाइन व्यापार के ज़रिए देश का बड़ा रिटेल व्यापार हड़प लिया है। जिस रफ्तार से यह कारोबार बढ़ रहा है, आने वाले समय में भारत के 10 करोड़ रिटेल व्यापारियों को यह खत्म कर देगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन ही ऐसी ढाल है जो कॉर्पोरेट्स के हमले को रोक सकती है। यदि किसान आंदोलन द्वारा खड़ी की गई यह कॉर्पोरेट विरोधी दीवार ढह गई, तो हर व्यापार तबाह हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि अब पंजाब सरकार द्वारा लुधियाना ज़िले के अंदर अर्बन एस्टेट बनाने के लिए विभिन्न गांवों की उपजाऊ 24,311 एकड़ भूमि को गलाडा द्वारा अधिग्रहित करने की योजना बनाई गई है, जबकि पहले ही पंजाब की उपजाऊ ज़मीन भारत माला प्रोजेक्ट्स के तहत कॉर्पोरेट घरानों के हितों की बलि चढ़ चुकी है। समराला तहसील के गांव बालियों की 250 एकड़ उपजाऊ ज़मीन को भी गलाडा द्वारा अधिग्रहीत करने की योजना बनाई जा चुकी है।

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) इस फैसले का डटकर विरोध करेगी और किसानों की उपजाऊ ज़मीन किसी भी हाल में अधिग्रहित नहीं होने दी जाएगी।

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