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Drug Smuggling पंजाब की जेलों में ड्रग्स तस्करी की जांच तेज, हाईकोर्ट के आदेश पर बनीं उच्च स्तरीय जांच समितियां

सौरभ मलिक/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 20 मई Drug Smuggling पंजाब की जेलों में बंदियों द्वारा चलाए जा रहे ड्रग्स तस्करी नेटवर्क पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गहरी जांच के आदेश दिए हैं। अदालत के हस्तक्षेप के तुरंत...
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सौरभ मलिक/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 20 मई

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Drug Smuggling पंजाब की जेलों में बंदियों द्वारा चलाए जा रहे ड्रग्स तस्करी नेटवर्क पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गहरी जांच के आदेश दिए हैं। अदालत के हस्तक्षेप के तुरंत बाद राज्य सरकार ने रेंज और कमिश्नरेट स्तर पर जांच समितियों का गठन कर दिया है, जो नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज़ (NDPS) एक्ट के तहत दर्ज जेल संबंधी मामलों की गहन पड़ताल करेंगी।

पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा 16 मई को जारी आदेश के अनुसार, रेंज स्तर की समितियों का नेतृत्व एडीजीपी, आईजीपी या डीआईजी करेंगे, जबकि कमिश्नरेट स्तर पर पुलिस कमिश्नर इन मामलों की निगरानी करेंगे। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) के एडीजीपी नीलाभ किशोर को समस्त मामलों की जांच की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह कार्रवाई उस समय सामने आई जब हाईकोर्ट ने अमृतसर (रूरल) के एसएसपी को जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच में लापरवाही बरतने पर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने पाया कि अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद आरोपियों द्वारा तस्करी के मामलों में कथित रूप से जेल स्टाफ की मिलीभगत थी, लेकिन एसएसपी ने मामले की जांच की जिम्मेदारी एक डीएसपी को सौंप दी, जो कि अदालत के अनुसार स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन था।

जस्टिस एनएस शेखावत की एकल पीठ ने टिप्पणी की कि, जब एसएसपी को व्यक्तिगत रूप से जांच करने का स्पष्ट आदेश दिया गया था, तब इसे निचले अधिकारी को सौंपना आदेश की अवहेलना के बराबर है। यह अवमानना की सीमा तक पहुंचता है।

हाईकोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जेलों में ड्रग्स तस्करी बिना वरिष्ठ जेल अधिकारियों और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकती। कोर्ट ने एसएसपी को निर्देश दिया था कि वे जांच फाइल का स्वयं अध्ययन कर स्पष्ट हलफनामा दाखिल करें कि अब तक संबंधित जेल अधिकारियों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया।

हालिया सुनवाई में अदालत को बताया गया कि अमृतसर (रूरल) एसएसपी मनिंदर सिंह ने 14 मई के आदेश के अनुपालन में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर अपना हलफनामा दाखिल किया और पूर्व आदेश की अनुपालना न करने पर बिना शर्त माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

राज्य सरकार के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि अब एसएसपी स्वयं मामले की निगरानी कर रहे हैं और ट्रायल कोर्ट से आगे की जांच की अनुमति मांगी जाएगी। यदि किसी भी जेल अधिकारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 28 जुलाई तय करते हुए आदेश दिया कि अमृतसर (रूरल) के एसएसपी व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी जारी रखें और स्थिति की अद्यतन रिपोर्ट हलफनामे के रूप में अदालत में दाखिल करें। फिलहाल उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है।

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