अंतरिक्ष में मलबे के मुद्दे का समाधान आवश्यक
संगरूर, 22 जून (निस)
पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के एक अध्ययन में वायु क्षेत्र और अंतरिक्ष के बीच एक कानूनी सीमा निर्धारित करने और वायुमंडल को प्रदूषित करने वाले अंतरिक्ष मलबे के मुद्दे पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। ये बिंदु विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्रोफेसर (डॉ.) गुरप्रीत कौर पन्नू की देखरेख में शोधकर्ता डॉ. हरमनदीप कौर ने अंतरिक्ष से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कानूनी नियमों का विश्लेषण करते हुए सामने रखे। प्रो. गुरप्रीत कौर पन्नू ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि अंतरिक्ष को विनियमित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय कानून की समीक्षा करने की आवश्यकता है, क्योंकि इस संबंध में मौजूदा कानूनी प्रणाली अब वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के अनुरूप पुरानी हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष गतिविधियों को विनियमित करने वाले विशिष्ट कानून का अभाव है।
भारत में इस संबंध में केवल 2023 की नीति बनाई गई है, जो अंतरिक्ष मामलों से संबंधित विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अंतरिक्ष मामलों से संबंधित निजी संस्थाओं के कार्यों के लिए राज्य को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए, बल्कि संबंधित संस्था को स्वयं जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से पता चला कि ‘वायु क्षेत्र’ के ऊपर जहां बाह्य अंतरिक्ष शुरू होता है, वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सीमाएं नहीं हैं। उपकुलपति डॉ. जगदीप सिंह ने इस अध्ययन की सराहना करते हुए कहा कि पंजाबी यूनिवर्सिटी की खूबसूरती यह है कि यहां किए जाने वाले शोध कार्यों का दायरा बहुत व्यापक है। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थान बहुत कम हैं जहां भाषा, साहित्य, संस्कृति से लेकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विधि तक सभी क्षेत्रों में समान तीव्रता और क्षमता के साथ इस स्तर का शोध कार्य किया जा रहा है।