चंडीगढ़, 22 मई (ट्रिन्यू)
ज्ञान आर्थिक और सामाजिक विकास का एक विश्वसनीय स्रोत है। विकास प्रक्रिया में ज्ञान को शामिल करने के लिए नीति निर्माताओं और ज्ञान के उत्पादकों को एक साथ आने की जरूरत है। चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला की ट्राइसिटी में बसे सार्वजनिक विश्वविद्यालयों और चिकित्सा संस्थानों के सेवानिवृत्त कुलपतियों और निदेशकों ने इस दिशा में एक थिंक टैंक बनाकर एक पहल की है, जिसका नाम है, सेवानिवृत्त कुलपति और निदेशकों का मंच (एफआरवीसीडी)। 2021 में अपनी स्थापना के बाद से एफआरवीसीडी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में शिक्षा और अनुसंधान, खाद्य और पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देने के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास पर नियमित चर्चा कर रहा है। एक बैठक में फोरम ने क्षेत्र के विकास के लिए रोडमैप पर विचार-विमर्श किया और कहा कि इस क्षेत्र विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा ने कृषि क्षेत्र के अभूतपूर्व विकास में योगदान दिया, जिसने राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, जहां शिक्षा के रूप में और स्वास्थ्य आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गया है। इसके अलावा कृषि के नेतृत्व वाले मॉडल ने जल और मिट्टी के संसाधनों, जैव विविधता और पर्यावरण पर जोर दिया है। विकास के वैकल्पिक मॉडल तलाशने का यह सही समय है।
वर्तमान में विभिन्न क्षेत्र अलगाव में काम करते हैं। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों के बीच संबंधों की क्षमता का दोहन करने की तत्काल आवश्यकता है। यह संयुक्त बयान में पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ अरुण के ग्रोवर, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के पूर्व कुलपति डॉ बलदेव सिंह ढिल्लों, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पूर्व वीसी डॉ भूरा सिंह घुम्मन, सीएसआईआर नई दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ गिरीश साहनी, वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय नौनी, के पूर्व वीसी डॉ हरिचंद शर्मा, पीजीआई के पूर्व निदेशक डॉ. जगतराम, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा एवं जीएनडीयू के पूर्व कुलपति डॉ जयरूप सिंह, डीबीटी- राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली के पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. राकेश तुली आदि ने जारी किया।