Water Crisis : पंजाब व हरियाणा के बीच फिर से ‘जल संग्राम’... कम हुई पानी आपूर्ति, आठ जिलों में संकट, नायब की मान के खिलाफ मोर्चाबंदी
दिनेश भारद्वाज/चंडीगढ़, 30 अप्रैल (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)
Punjab Haryana Water Crisis : सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर पंजाब व हरियाणा में कभी से टकराव चला आ रहा है। अब भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति कम करने के चलते दोनों राज्यों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। इस ‘जल संग्राम’ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे हैं। वहीं हरियाणा में विपक्ष ने केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार को घेर लिया है।
भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति कम होने की वजह से हरियाणा के आठ जिलों – कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार व रोहतक में जल संकट काफी अधिक गहरा सकता है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं। लेकिन पंजाब की मान सरकार अपने फैसले पर अड़िग है। मामला केंद्र तक भी पहुंच गया है। केंद्रीय सिंचाई मंत्री सीआर पाटिल तक यह पूरा विवाद पहुंच चुका है। ऐसे में अब हरियाणा को केंद्र से भी कोई कदम उठाए जाने की उम्मीद है।
भाखड़ा से हरियाणा को करीब 9000 क्यूसिक पानी मिल रहा है। पंजाब की मान सरकार ने अचानक ने इस आपूर्ति को घटाकर 4000 क्यूसिक कर दिया है। भाखड़ा से पानी की आपूर्ति घटने के चलते प्रदेश के कई जिलों में पानी की समस्या भी बढ़ गई है। कैथल जिला में पहले 1,350 क्यूसिक से अधिक पानी आता था। अब यह घटकर 400 क्यूसिक रह गया है। इसी तरह हिसार में बरवाला लिंक नहर में 1,500 क्यूसिक पानी की बजाय केवल 350 क्यूसिक पानी की सप्लाई हो रही है। फतेहाबाद में केवल 900 क्यूसिक पानी पहुंच रहा है। वहीं अंबाला में 2,800 क्यूसिक पानी के मुकाबले अब केवल 1,200 क्यूसिक पानी आ रहा है।
बीबीएमबी में कम हुआ दखल
भाखड़ा नंगल डैम का संचालन भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार ने बीबीएमबी का गठन किया था। बीबीएमबी में पंजाब व हरियाणा की पानी और बिजली में हिस्सेदारी है। 1963 में बने इस डैम में 2022 तक हरियाणा से एक सदस्य (सिंचाई) तथा पंजाब से एक सदस्य (बिजली) हुआ करता था। फरवरी-2022 में केंद्र सरकार ने बीबीएमबी के रूल्स-1974 में संशोधन किया। इसके तहत सभी अधिकार केंद्र के अधीन हा गए। तभी से लेकर हरियाणा की ओर से बीबीएमबी में कोई सदस्य नहीं है।
सचिव को नहीं मिली एक्सटेंशन
बीबीएमबी में फरवरी-2025 तक हरियाणा सरकार के एक अधिकारी बतौर सचिव कार्यरत थे। सचिव का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ाने के लिए हरियाणा की ओर से केंद्र से आग्रह भी किया गया लेकिन केंद्र से इसकी मंजूरी नहीं मिली। इसके बाद हरियाणा में सिंचाई विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ को बीबीएमबी सदस्य (सिंचाई) का अस्थाई कार्यभार देने के लिए भी पत्र भेजा गया लेकिन इसकी भी स्वीकृत नहीं मिल पाई। विपक्ष का कहना है कि जब बीबीएमबी में ना सदस्य होगा और न ही हरियाणा का सचिव तो फिर हरियाणा के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी।
चार साल के आंकड़े भी दिए
हरियाणा सरकार ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान के बीबीएमबी से मिल रहे पिछले चार वर्षों के पानी के आंकड़े भी जारी किए हैं। 2020-21 में हरियाणा कान्टेक्ट प्वाइंट (एचसीपी) पर 8263, 2021-22 में 9 हजार 726, 2022-23 में 9 हजार 850 तथा 2023-24 में 10 हजार 67 क्यूसिक पानी मिला। दरअसल, पंजाब के सीएम ने यह भी दावा किया है कि आज से पहले पंजाब ने या बीबीएमबी ने हिसाब नहीं रखा। इसी संदर्भ में नायब सरकार ने पिछले चार वर्षों में तीन महीनों – अप्रैल से जून तक के आंकड़े जारी किए हैं।
अप्रैल-मई में धान रोपाई पर भी प्रतिबंध
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि बीबीएमपी एचसीपी (हरियाणा कांटेक्ट प्वाइंट) पर पानी भेजता है। इसमें दिल्ली का 500, राजस्थान का 800 और पंजाब का 400 क्यूसिक पानी भी शामिल है। ऐसे में हरियाणा के पानी की मात्रा 6800 क्यूसिक रह जाती है। अप्रैल और मई में हरियाणा ही नहीं, पंजाब में भी धान की रोपाई नहीं की जाती।
चूंकि ऐसा करना कानून प्रतिबंधित है। इन दोनों महीनों में बीबीएमबी द्वारा छोड़े जाने वाले पानी का इस्तेमाल केवल पेयजल आपूर्ति के लिए होता है। पंजाब के सीएम भगवंत मान पर हमलावर हुए सैनी ने कहा - मान साहब ने पोंग और रणजीत सागर डैम में पानी का स्तर कम होने की बात की है। लेकिन यह नहीं बताया कि भाखड़ डैम में क्या स्थिति है। चूंकि हरियाणा को पानी भाखड़ा डैम से मिलता है न कि पोंग डैम या रणजीत सागर डैम से।
पीएम बुलाएं दोनों राज्यों की मीटिंग : सुरजेवाला
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जल विवाद पर बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में दोनों राज्यों – पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए। इस बैठक में केंद्रीय बिजली व सिंचाई मंत्रियों को भी बुलाया जाना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंजाब सरकार को स्पष्ट हिदायत देनी चाहिए कि वे पानी को ले जाने में कोई अवरोध न डालें। जरूरत हो तो भारत सरकार संविधान के आर्टिकल-257 में जरूरी हिदायत जारी करें। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा के लोग प्यास से तड़प रहे हैं।
पूरे प्रदेश में टैंकर माफिया हावी है और एक हजार रुपया प्रति टैंकर के हिसाब से वसूली हो रही है। लगभग सभी जल घर सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं। भाजपा सरकार व अधिकारियों को यह मालूम ही नहीं कि पानी की सप्लाई कब तक आएगी। भीषण गर्मी में गांव के तालाब भी लगभग सूख गए हैं और मवेशी प्यासे मरने की कगार पर खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि इतने भारी जल संकट के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी केवल बयानबाजी और एक-दूसरे को चिट्ठी लिखने में व्यस्त हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सिर पर सत्ता का नशा चढ़कर बोल रहा है तो नायब सैनी को समझ ही नहीं आ रहा कि हरियाणा को जलसंकट से उबारने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिस रहे हैं हरियाणा के भोले-भाले लोग।