मुंबई, 10 फरवरी (एजेंसी)
रिपब्लिक टीवी के सभी चैनलों का संचालन करने वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया ने बंबई हाईकोर्ट से कहा कि कथित फर्जी टीआरपी घोटाले में मुंबई पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र में रिपब्लिक टीवी एवं इसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ किसी सबूत का खुलासा नहीं किया गया है। हाईकोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में आरोपपत्र का उत्तर देते हुए कंपनी ने कहा कि पुलिस ने मामले में उसके कर्मचारियों को ‘गलत तरीके से फंसाया।’
जवाबी हलफनामे कहा गया कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मुंबई पुलिस की जांच एवं पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर की गई हत्या को लेकर बिना डर की गई रिपोर्टिंग की वजह से रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है। राजपूत का शव पिछले साल जून में मुंबई के बांद्रा स्थित उनके घर में कथित तौर पर फंदे से लटका मिला था। एआरजी आउटलायर मीडिया ने अपने हलफनामे में कहा कि मामले में वास्तविक शिकायतकर्ता हंसा रिसर्च ग्रुप ने रिपब्लिक टीवी या उसके कर्मचारियों का नाम नहीं लिया था। कंपनी ने कहा कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को भी चैनल या कर्मचारियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने चैनल एवं उसके कर्मचारियों को अपने आरोपपत्र में आरोपी एवं संदिग्ध के तौर पर नामजद किया।
कंपनी ने कहा कि पुलिस ने अर्नब गोस्वामी एवं ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च कांउसिल (बीएआरसी) के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी पार्थो दासगुप्ता के बीच हुई कथित व्हाट्सऐप चैट के चुनिंदा अंश लीक किए। गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने पिछले महीने दो हलफनामे मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त शशांक सांदभोर के जरिए दाखिल किए थे तथा कहा था कि पुलिस रिपब्लिक टीवी या उसके कर्मचारियों को निशाना नहीं बना रही है। पुलिस ने दावा किया कि मामले की जांच में ‘राजनीतिक बदले’ जैसी कोई बात नहीं है। एआरजी आउटलायर मीडिया द्वारा दायर कई याचिकाओं पर जस्टिस एसएस शिंदे एवं जस्टिस मनीष पिताले की पीठ सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में अदालत से कंपनी ने अपने कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देने एवं जांच मुंबई पुलिस से सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।