युद्ध क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत दिखी : जन. पांडे
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (एजेंसी)
थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कहा कि हाल के संघर्षों-खासकर रूस-यूक्रेन संघर्ष से कई चीजें सामने आई हैं, जिससे भारतीय सेना को ‘युद्ध के समकालीन स्वरूप’ और जंग के मैदान में निर्णायक बढ़त के लिए हथियार क्षमता की प्रासंगिकता का पता चला। सेना प्रमुख ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि संघर्ष ने ‘आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत’ को ‘व्यापक रूप से प्रदर्शित’ किया है।
जनरल मनोज पांडे, मानेकशॉ सेंटर में जनरल एसएफ रोड्रिग्स स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे, जिसमें भारतीय सेना के कई पूर्व प्रमुखों, पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एनसी सूरी सहित अन्य ने भाग लिया। जनरल (सेवानिवृत्त) रोड्रिग्स ने 1990-1993 तक सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था। जनरल रोड्रिग्स के 90वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए। सेना प्रमुख ने अपने संबोधन में रूस-यूक्रेन संघर्ष से लगातार मिल रहे सबक का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हाल के संघर्षों और विशेष रूप से मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष कुछ प्रमुख संकेतकों को सामने लाया है, जिसने हमें युद्ध के समकालीन स्वरूप को समझने में सक्षम बनाया है और युद्ध के मैदान में निर्णायक बढ़त बनाने में हथियारों की प्रासंगिकता भी बताई है।’ जनरल पांडे ने कहा, ‘योजना के नजरिए से युद्ध की अवधि का यथार्थवादी आकलन क्या होना चाहिए? क्या हमारे मामले में छोटे और तेज युद्ध की परिकल्पना अभी भी सही है?’ सेना प्रमुख ने कहा कि इसका उत्तर सेना के उद्देश्यों के चयन, अभियानगत योजनाओं और सैन्यबल के प्रभावी नियंत्रण के लिए जरूरी साजो-सामान के स्तर पर भी प्रभाव डालता है। जनरल पांडे ने कहा, ‘अगला मुद्दा आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत है, जिसे इस संघर्ष ने व्यापक रूप से प्रदर्शित किया है। इसलिए स्वाभाविक परिणाम इन प्रौद्योगिकियों को युद्ध-लड़ने वाली हमारी प्रणाली में शामिल करने की ओर इशारा करता है।’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘वास्तव में, समसामयिक माहौल के अनुरूप बने रहने और भविष्य की जरूरतों के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत आज भी प्रासंगिक है। ये पहलू हमारी वर्तमान परिवर्तन पहल की रीढ़ हैं, जिन्हें हमने लागू किया है।’