नयी दिल्ली, 8 अप्रैल (एजेंसी)
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ ने देश में एक ऐसी मौन क्रांति को जन्म दिया, जिसने गांव-गांव और गली-गली में आत्मनिर्भरता की लौ जलाई है। योजना की दसवीं वर्षगांठ पर उन्होंने बताया कि अब तक 33 लाख करोड़ रुपये के गारंटी-मुक्त ऋण दिए जा चुके हैं, जिससे 52 करोड़ से अधिक नागरिकों को अपना उद्यम शुरू करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने योजना के चुनिंदा लाभार्थियों से अपने निवास पर मुलाकात के दाैरान कहा कि मुद्रा ऋण सिर्फ पैसे नहीं, सम्मान और आत्मविश्वास लेकर आता है। उन्होंने उल्लेख किया कि लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिन्होंने न केवल ऋण लिए, बल्कि उन्हें समय पर चुकाया भी। इसके अलावा, आधे से अधिक लाभार्थी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों से हैं, जो दर्शाता है कि यह योजना समाज के सबसे वंचित तबकों तक पहुंची है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को हुई थी, जिसका उद्देश्य नौकरी मांगने वालों को नौकरी देने वाला बनाना था।
करोड़ों उद्यमियों की आकांक्षाओं को लगे पंख : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह योजना समाज के हाशिये पर रहने वाले करोड़ों उद्यमियों की आकांक्षाओं को पंख देने का कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 11.58 लाख करोड़ रुपये के ऋण, वंचित समुदायों को दिए जा चुके हैं। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने मुद्रा योजना को विश्व स्तर की अनूठी पहल बताया।