नयी दिल्ली, 3 जून (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने के फैसले पर खुशी जाहिर की है। इसके साथ ही सीबीएसई और सीआईसीएसई को अंकों के मूल्यांकन के लिए उद्देश्यपरक मानदंड पेश करने का निर्देश दिया है। बृहस्पतिवार को जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीआईएससीई की तरफ से पेश वकील जेके दास से कहा कि 2 हफ्ते के भीतर मानदंड पेश करें।
वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीएसई को 12वीं कक्षा के मूल्यांकन के लिए अच्छी तरह परिभाषित उद्देश्यपरक मानदंड बनाने के लिए वक्त चाहिए और अदालत कम से कम 2 सप्ताह के लिए सुनवाई टाल सकती है। दास ने कहा कि सीआईएससीई उद्देश्यपरक मानदंड रखने के लिए 3-4 हफ्तों का वक्त चाहती है, क्योंकि इस प्रक्रिया में विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श होगा। पीठ ने कहा, ‘चार हफ्तों का वक्त थोड़ा ज्यादा है। आप 2 हफ्तों के भीतर इसे पेश कीजिए, क्योंकि विद्यार्थियों को कॉलेजों में दाखिले भी लेने होंगे। आजकल हर संवाद वर्चुअल तरीके से हो रहा है।’
छात्रों के साथ संवाद में अचानक जुड़े मोदी
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को 12वीं कक्षा के छात्रों से कहा है कि परीक्षा रद्द होने के बाद के समय का सदुपयोग उन्हें रचनात्मक और लाभकारी गतिविधियों में करना चाहिए। शिक्षा मंत्रालय की ओर से डिजिटल माध्यम से आयोजित छात्रों व उनके अभिभावकों के साथ संवाद में अचानक शामिल हुए प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि आगे की क्या योजना है। ‘क्या आईपीएल और चैम्पियंस लीग देखना पसंद करेंगे या फिर आेलंपिक का इंतजार करेंगे।’ पंचकूला के छात्र हितेश्वर शर्मा ने कहा, ‘रोज दबाव बढ़ रहा था। मैं शीर्ष पर स्थान बनाने के लिहाज से तैयारी कर रहा था लेकिन मेरा मानना है कि हमने जो पढ़ाई की है वह कभी व्यर्थ नहीं जाती।’ प्रधानमंत्री के एक सवाल पर गुवाहाटी के एक छात्र ने जवाब दिया, ‘सर, आपने पहले कहा था कि परीक्षा को त्योहार के रूप में मनाना चाहिए था। इसलिए परीक्षा को लेकर मेरे मन में कोई तनाव नहीं था।’ कुछ अभिभावकों ने भी इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ विचार साझा किए।