पणजी, 27 मई (एजेंसी)
बंबई हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने 2013 के बलात्कार के एक मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी करने वाली सत्र अदालत को अपने फैसले में उन सभी संदर्भों को हटाने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया जिससे पीड़िता की पहचान उजागर होती है। हाईकोर्ट ने अदालत की वेबसाइट पर फैसला अपलोड करने से पहले इन संदर्भों को हटाने का निर्देश दिया। जस्टिस एस सी गुप्ते की अवकाशकालीन पीठ गोवा सरकार की उस अपील पर सुनवाई कर रही है जिसमें मामले में तेजपाल को बरी करने के सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी के 21 मई को दिए फैसले को चुनौती दी गई है। तहलका के पूर्व मुख्य संपादक तेजपाल को अदालत ने 21 मई को बरी कर दिया था। उन पर 2013 में गोवा के पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी सहकर्मी का यौन शोषण करने का आरोप था। यह घटना तब की है जब वह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गोवा गए थे। सत्र अदालत ने तेजपाल को बरी करते हुए कथित घटना के बाद पीड़ित महिला के आचरण पर सवाल उठाए और कहा कि उनके बर्ताव में ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे लगे कि वह यौन शोषण की पीड़िता हैं। गोवा सरकार की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल ने बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट को बताया कि फैसले में पीड़ित के संदर्भ में की गई टिप्पणियां ‘आश्चर्यजनक’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना और सार्वजनिक किया जाना बाकी है और इसके कई पैराग्राफ में पीड़ित महिला की पहचान उजागर होती है। यह एक अपराध है।’ उन्होंने कहा कि फैसले में पीड़िता की मां और पति के नाम दिए गए हैं और साथ ही पीड़िता की ईमेल आईडी है जो अप्रत्यक्ष तौर पर उसके नाम का खुलासा करती है। जस्टिस एससी गुप्ता ने आदेश पारित करते हुए कहा, ‘ऐसे अपराधों में पीड़िता की पहचान उजागर करने के खिलाफ कानून पर विचार करते हुए यह न्याय के हित में है कि इन संदर्भों को हटा दिया जाए।’