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SYL Dispute सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा को सौहार्दपूर्ण हल के लिए केंद्र से सहयोग का निर्देश दिया

13 अगस्त तक समाधान नहीं हुआ तो होगी सुनवाई; decades पुराने विवाद को खत्म करने की कोशिश
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नयी दिल्ली, 6 मई (एजेंसी)

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि वे इस मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार के साथ पूरी तरह सहयोग करें। अदालत ने चेताया कि यदि यह मुद्दा 13 अगस्त तक नहीं सुलझा, तो कोर्ट अगली सुनवाई करेगा और आवश्यक आदेश पारित कर सकता है।

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जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने कहा कि वह पहले ही इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रभावी प्रयास कर चुकी है। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि मध्यस्थता की कोशिशें जारी हैं, लेकिन इसमें राज्यों की सक्रियता और इच्छाशक्ति जरूरी है।

क्या है एसवाईएल विवाद?

सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना की शुरुआत रावी और ब्यास नदियों के पानी के बंटवारे को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए की गई थी। इस 214 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित नहर में 122 किलोमीटर हिस्सा पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में आता है।

हरियाणा ने अपने हिस्से का निर्माण बहुत पहले ही पूरा कर लिया, लेकिन पंजाब ने 1982 में कार्य शुरू कर ठप कर दिया। तब से यह मुद्दा लगातार राजनीतिक और कानूनी बहस का केंद्र बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश

हरियाणा सरकार द्वारा 1996 में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी 2002 को फैसला सुनाते हुए पंजाब को उसके हिस्से की नहर का निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया था। लेकिन पंजाब सरकार ने विभिन्न कारणों से इसका विरोध जारी रखा, जिससे यह मामला अब तक लंबित बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यदि राज्य सरकारें केंद्र की मध्यस्थता में सहयोग नहीं करतीं, तो न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दोनों राज्य 13 अगस्त से पहले किसी समाधान पर पहुंचें ताकि पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों पुराना यह जल विवाद सुलझ सके।

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