नयी दिल्ली, 25 नवंबर (एजेंसी)
सुप्रीमकोर्ट ने खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि निर्माण गतिविधियों पर रोक रहने की अवधि के दौरान वे श्रमिकों को श्रम उपकर के तौर पर एकत्रित धनराशि में से गुजारा भत्ता दें। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ का अंतरिम आदेश बुधवार रात को अपलोड किया गया। इसमें पीठ ने एनसीआर और इर्दगिर्द के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन दी एनसीआर ऐंड एड्जॉइनिंग एरियाज) को निर्देश दिया कि वह ‘‘वायु प्रदूषण के रिकॉर्ड किए गए स्तरों पर पिछले वर्षों के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर वायु गुणवत्ता का एक वैज्ञानिक अध्ययन करे।” पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि ग्रेडेड रेस्पांस प्लान के तहत कार्रवाई शुरू करने से पहले वायु गुणवत्ता के और खराब होने का इंतजार करने के बजाए वायु गुणवत्ता के खराब होने की आशंका के मद्देनजर आवश्यक कदम उठाए जाएं। इसके लिए, यह आवश्यक है कि आयोग मौसम विज्ञान संबंधी आंकड़े और गणितीय प्रतिमानों का ज्ञान रखने वाली विशेषज्ञ समितियों की सेवाएं ले।” प्रदूषण संबंधी आयोग और एनसीआर राज्यों (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान) से प्रदूषण में वृद्धि को रोकने के उपायों को जारी रखने का निर्देश देते हुए पीठ ने निर्माण गतिविधियों को 22 नवंबर से शुरू करने की इजाजत देने संबंधी फैसले को सुरक्षित रखा।
शीर्ष न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 29 नवंबर तय करते हुए इस बीच केंद्र सरकार, दिल्ली-एनसीआर राज्यों और आयोग को हालात से निपटने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।