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बेटे का कमाल... बाप उस पर भी धमाल

शिक्षा और समर्पण का अनूठा उदाहरण, एक साथ मिलीं पीएचडी की डिगि्रयां
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 1 जनवरी

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यह सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रेरणा, समर्पण और पारिवारिक बंधन की अनूठी मिसाल है। अम्बाला निवासी 74 वर्षीय रिपुदमन गुलाटी और उनके बेटे गौरव गुलाटी (35) ने रायपुर के आईएसबीएम विश्वविद्यालय से एक साथ पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। खास बात यह है कि यह सफलता रिपुदमन के दिवंगत पिता के 100वें जन्मदिन पर हासिल हुई, जो परिवार के पूर्व मुखिया के लिए एक अनमोल श्रद्धांजलि बन गई।

रिपुदमन ने भावुक होकर कहा, ‘पीएचडी की यह उपाधि मैं अपनी पत्नी स्वर्गीय कामिनी गुलाटी को समर्पित करता हूं। वह हमेशा कहती थी कि पीएचडी की डिग्री करने पर सबसे पहले मैं आपको ‘डॉ. रिपुदमन गुलाटी’ कहकर शुभकामनाएं दूंगी। मुझे खुशी है कि मैं अपने बेटे के साथ मिलकर अपने स्वर्गीय पिताजी और पत्नी के ‘हमेशा पढ़ते रहने’ के सपने को पूरा कर पाया।’

गुलाटी ने कानून में पीएचडी की उपाधि हासिल की, जबकि उनके बेटे गौरव ने प्रबंधन में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। दीक्षांत समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने पिता-पुत्र को सम्मानित करते हुए कहा, ‘गुलाटी परिवार ने यह साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और शिक्षा के लिए कभी देर नहीं होती।’ इस मौके पर विश्वविद्यालय के चांसलर विनय अग्रवाल, वाइस चांसलर प्रो. आनंद महालवार, और रजिस्ट्रार बीपी भोल सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उनके गाइड कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर कुमार ने भी गुलाटी परिवार को इस अद्वितीय उपलब्धि पर

बधाई दी।

पिता के सपनों को बेटे का साथ

रिपुदमन गुलाटी डिग्री ग्रहण करते हुए।

रिपुदमन गुलाटी ने कहा कि मैंने हमेशा कानून में पीएचडी करने का सपना देखा था, लेकिन इसे अपने बेटे के साथ पूरा करना मेरे जीवन का सबसे गर्व का क्षण है। यह डिग्री मैं अपने दिवंगत पिता और पत्नी को समर्पित करता हूं। मेरे पिता का 100वां जन्मदिन इस उपलब्धि के साथ और भी खास हो गया है।

बेटे के लिए पिता बने प्रेरणा

पुत्र-गौरव गुलाटी डिग्री ग्रहण करते हुए।

गौरव गुलाटी ने अपने पिता को आदर्श बताते हुए कहा कि मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि मेहनत और समर्पण से सब कुछ संभव है। उनके साथ यह डिग्री हासिल करना मेरे जीवन का सबसे अविस्मरणीय

पल है।

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