नयी दिल्ली, 28 जुलाई (एजेंसी) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहे जाने संबंधी टिप्पणी को ‘सेक्सिस्ट’ (लैंगिक भेदभाव) बताया और कांग्रेस से इसके लिए देश व राष्ट्रपति से माफी मांगने की मांग की। राज्यसभा में शून्काल के दौरान विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह शब्द गलती से कांग्रेस नेता के मुंह से निकल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने जानबूझकर ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के लिए ऐसी टिप्पणी राष्ट्रपति के साथ ही महिलाओं का भी अपमान है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कहना ‘सेक्सिस्ट’ टिप्पणी है।’ सीतारमण ने कहा कि सभी को पता है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को राष्ट्रपति कहकर संबोधित किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं समझती ही कि उनके मुंह से गलती से यह शब्द नहीं निकला है। यह जानबूझकर किया गया अपमान है। वह आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं। देश के एक पिछड़े इलाके से ताल्लुक रखती हैं। विधायक, और मंत्री के रूप में उन्होंने सफलतापूर्वक काम किया है ओर वह एक बहत ही अच्छी राज्यपाल भी रही हैं। अब राष्ट्रपति के रूप में उनके चयन पर पूरा देश जश्न मना रहा है। ऐसे समय में लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने उन्हें राष्ट्रपति कहकर देश की राष्ट्रपति का अपमान किया है। यह अस्वीकार्य है।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अध्यक्ष स्वयं एक महिला हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष को देश के सामने आकर देश व राष्ट्रपति से माफी मांगनी चाहिए।’ ज्ञात हो कि चौधरी ने बुधवार को एक निजी चैनल से बातचीत में राष्ट्रपति मुर्मू को ‘‘राष्ट्रपत्नी” कहकर संबोधित किया था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।