नयी दिल्ली, 12 जुलाई (एजेंसी)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी। इसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसमें 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों में संशोधन का प्रस्ताव है।
सूत्रों ने कहा कि यह विधेयक बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए आया। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल 22 दिसंबर को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक पेश किया था। इसके बाद विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया। समिति ने विधायी और विधि मामलों के विभागों के साथ-साथ सभी 19 मंत्रालयों से विस्तृत चर्चा की। रिपोर्ट को गत मार्च में अंतिम रूप दिया गया। उसी महीने उसे राज्यसभा और लोकसभा में पेश किया गया। संसदीय समिति ने केंद्र को कारोबार तथा जीवनयापन को सरल बनाने को बढ़ावा देने के लिये जन विश्वास विधेयक की तर्ज पर छोटे मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था। इससे अदालतों में लंबित मामलों को निपटान में मदद मिलेगी।
जेल के बजाय आर्थिक दंड की सिफारिश
संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि मुकदमों में वृद्धि से बचने के लिये जहां भी संभव हो कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर नियम का उल्लंघन करने पर मौद्रिक दंड लगाया जाए। विधेयक में छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के प्रस्ताव के अलावा अपराध की गंभीरता के आधार पर मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने, भरोसे पर आधारित राजकाज को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव किया गया है।