सिंघासन पर त्रिभुअन साईं, देखि सुरन्ह दुंदुभीं बजाईं
अयोध्या, 5 जून (एजेंसी)
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बृहस्पतिवार को गंगा दशहरा के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में आयोजित धार्मिक समारोह में राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के अंदर नवनिर्मित आठ मंदिरों में विग्रहों की स्थापना के साथ-साथ भगवान राम के शाही स्वरूप ‘राजा राम’ की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। ऐसे ही अवसर को ‘राम चरित मानस’ में तुलसी दास ने वर्णित करते हुए लिखा है, ‘सिंघासन पर त्रिभुअन साईं, देखि सुरन्ह दुंदुभीं बजाईं।’ वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज के बीच हुआ यह अनुष्ठान इस मंदिर में आयोजित दूसरा प्रमुख प्राण-प्रतिष्ठा समारोह था। इससे पहले, 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राम लला का अभिषेक किया गया था।
बृहस्पतिवार का यह समारोह ‘अभिजीत मुहूर्त’ के दौरान हुआ। हिंदू पंचांग में इसे सबसे शुभ घड़ियों में से एक माना जाता है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, विग्रहों का अभिषेक सुबह साढ़े छह बजे यज्ञ मंडप में पूजा के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद पूर्वाह्न नौ बजे हवन किया गया और फिर सभी मंदिरों में एक साथ अनुष्ठान शुरू हुए। ट्रस्ट के अनुसार, जिन देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा की गई, उनमें श्री राम दरबार (केंद्रीय स्थापना), शेषावतार, उत्तर-पूर्व (ईशान) कोने में भगवान शिव, दक्षिण-पूर्व (अग्नि) कोने में भगवान गणेश, दक्षिणी शाखा में भगवान हनुमान, दक्षिण-पश्चिम कोने में सूर्य देव, उत्तर-पश्चिम (वायव्य) कोने में देवी भगवती और उत्तरी शाखा में देवी अन्नपूर्णा शामिल हैं।
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी अनिल मिश्रा ने कहा, ‘गंगा दशहरा का दिन एक नयी शुरुआत का प्रतीक होगा। यह वह पल होगा, जब सदियों की तपस्या, संघर्ष और आस्था का फल मूर्त रूप में प्रकट होगा।’ सत्तारूढ़ भाजपा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का दूसरा उत्सव आज अयोध्या में संपन्न हुआ। राम राज्य की ओर एक कदम।’
कभी गोलियां चलती थीं, आज पुष्प बरसते हैं : योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कभी अयोध्या आने वाले रामभक्तों पर गोलियां चला करती थीं और श्रद्धालुओं पर लाठी डंडे बरसाकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता था, लेकिन आज श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा होती है तथा उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी मिलता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या आज पूरी दुनिया के सामने ‘अतिथि देवो भव:’ की नयी परिभाषा गढ़ रही है। पर्यावरण दिवस का जिक्र करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि अयोध्या में मां जानकी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, सुग्रीव, जामवंत, माता शबरी और निषाद राज के नाम पर वाटिकाएं विकसित की जाएं।