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Sawan Maas 2025 : सावन महीना चल रहा है, शुभ काम नहीं होंगे... ऐसा क्यों कहती हैं दादी-नानी?

श्रावण में शुभ कार्य वर्जित क्यों? जानिए कारण
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Sawan Maas 2025 : भारत में हर माह और ऋतु का अलग महत्व है लेकिन श्रावन मास धार्मिक, सांस्कृतिक नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन का महीना खासतौर पर भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान व्रत, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। मगर, इस महीने में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण आदि करने की मनाही होती है। आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को भी कहते हुए सुना होगा कि सावन महीने में शुभ काम नहीं करने चाहिए। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर सावन महीने में मांगलिक कार्यों करने क्यों वर्जित होते हैं।

सावन में क्यों नहीं करने चाहिए शुभ काम?

धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव तपस्या में लीन रहते हैं इसलिए मांगलिक कार्यों करने की मनाही होती है। विवाह और अन्य शुभ कार्यों को आनंद, उल्लास और सामाजिक उत्सव का रूप माना जाता है। परंतु सावन में शिव की तपस्या को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यों को करना अनुचित माना जाता है क्योंकि यह एक प्रकार से ईश्वरीय साधना में विघ्न उत्पन्न करना माना है।

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भगवान शिव-माता पार्वती से जुड़ी कथा

हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में सावन महीने का संबंध पार्वती और शिव की कथा से भी जोड़ा जाता है। देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठिन तप किया था। उनका यह तप विशेष रूप से सावन माह में किया गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।

इस कारण से सावन को तप और भक्ति का मास माना जाता है, न कि भौतिक सुख-सुविधाओं या विवाह जैसे कार्यों का। इस समय को आत्मशुद्धि और शिव की भक्ति में लीन रहने का अवसर माना गया है।

क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन के महीने में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, जिसे 'दक्षिणायन' कहा जाता है। दक्षिणायन काल को देवताओं की रात्रि माना जाता है। इस समय ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति शुभ नहीं मानी जाती, विशेषकर विवाह और गृह प्रवेश जैसे कार्यों के लिए।

इस समय बृहस्पति ग्रह (गुरु) जो विवाह के लिए सबसे प्रमुख ग्रह माने जाते हैं, कई बार वक्री या अस्त हो जाते हैं। जब गुरु अस्त होते हैं तो गुरु तारा अस्त कहलाता है, जो विवाह जैसे कार्यों के लिए अशुभ समय माना जाता है। इसी कारण से इस काल को 'अशुभ काल' मानते हैं और शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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