Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

नहीं रहे प्रख्यात कला इतिहासकार बीएन गोस्वामी

90 वर्ष की उम्र में पीजीआई में ली अंतिम सांस
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
15 अगस्त, 1933- 17 नवंबर 2023
Advertisement

नयी दिल्ली/ चंडीगढ़, 17 नवंबर (एजेंसी)

मशहूर कला इतिहासकार और लेखक बीएन गोस्वामी का शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में निधन हो गया। उनकी आयु 90 वर्ष थी। उनकी पारिवारिक मित्र और रंगकर्मी नीलम मान सिंह ने बताया कि गोस्वामी के फेफड़ों में संक्रमण था। उन्होंने कहा, ‘यह कोई लंबे समय से चली आ रही बीमारी नहीं थी। उन्हें बस बीते एक माह से सांस लेने में परेशानी हो रही थी।’

Advertisement

चंडीगढ़ में शुक्रवार को कला इतिहासकार बीएन गोस्वामी के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गयी।

कला जगत में बीएनजी के नाम से मशहूर गोस्वामी को पहाड़ी शैली की चित्रकला में उनके काम के लिए जाना जाता है। नीलम मान सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय में कला इतिहास के प्रोफेसर रहे गोस्वामी को ‘स्पष्ट’ व्यक्तित्व वाले और ‘महान श्रोता’ के रूप में याद किया। उन्होंने कहा, ‘वह मेरे कला इतिहास के गुरु थे। उनकी पत्नी मेरे लिए बड़ी बहन जैसी थीं। मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थी और वह एक बहुत अच्छे श्रोता थे। वह बहुत स्पष्टवादी थे।’

चंडीगढ़ में शुक्रवार को कला इतिहासकार बीएन गोस्वामी के अंतिम संस्कार में द ट्रिब्यून के ट्रस्टी गुरबचन जगत एवं उनकी धर्मपत्नी किरन जगत शामिल रहीं।

गोस्वामी की पत्नी करुणा भी एक कला इतिहासकार थीं, जिनकी वर्ष 2020 में मृत्यु हो गयी थी। उनकी एक बेटी मालविका है। सोशल मीडिया पर कला इतिहासकार के लिए शोक संदेशों का तांता लग गया, जिनमें उन्हें खुशमिजाज, सहज, सहानुभूतिपूर्ण व्यक्तित्व वाले इंसान के रूप में याद किया गया।

कवि रंजीत होसकोटे ने कहा कि आज का दिन प्रोफेसर बीएन गोस्वामी के निधन के दुखद समाचार के साथ शुरू हुआ। बीएनजी संस्कृत, फारसी, उर्दू, जर्मन और अंग्रेजी के एक अतुलनीय विद्वान थे।

चंडीगढ़ में शुक्रवार को दिवंगत बीएन गोस्वामी के शोक संतप्त परिजनों के साथ द ट्रिब्यून के ट्रस्टी जस्टिस एसएस सोढी एवं उनकी पत्नी बोनी सोढी भी शामिल रहीं। - रवि कुमार

वर्ष 1960 के दशक में पहाड़ी चित्रकारों के सामाजिक इतिहास और पारिवारिक शिल्पशाला संरचनाओं में उनके गहन अध्ययन ने एके कुमारस्वामी, डब्ल्यूजी आर्चर और कार्ल खंडालावाला द्वारा शुरू किए गए क्षेत्र के अध्ययन में क्रांति ला दी थी। उन्होंने कहा कि गोस्वामी ने विशेषज्ञों और आम दर्शकों के बीच की खाई को उत्साह व प्रतिभा से पाट दिया था। लेखक एवं इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मेरे प्रिय मित्र और गुरु, बीएन गोस्वामी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ, जो भारत के महानतम कला इतिहासकारों में शामिल थे और मुझे अब तक मिले सबसे बुद्धिमान एवं प्रतिभाशाली व्यक्तियों में से एक थे। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता और वह हमेशा याद आएंगे। ओम शांति!’

गोस्वामी हमेशा याद आते रहेंगे : वोहरा

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने गोस्वामी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में वोहरा ने कहा, ‘बृजिंदर गोस्वामी के अचानक निधन की खबर से मैं और मेरी पत्नी बहुत दुखी हैं। गोस्वामी को दुनिया भर में कला और संस्कृति के ग्रैंडमास्टर इतिहासकार के रूप में पहचाना जाता था। एक प्रसिद्ध विद्वान, जिन्होंने अपना पूरा जीवन अध्ययन, अध्यापन, व्याख्यान में बिता दिया। उनकी लिखी दो दर्जन से अधिक पुस्तकें हमेशा देश-विदेश में उनकी याद दिलाती रहेंगी। हम प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और भगवान उनकी बेटी मालविका को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति दें।’

जो कला प्रेमियों के दिल पर छाये रहे

नोनिका सिंह

कला की दुनिया की एक बड़ी हस्ती, प्रख्यात कला इतिहासकार और कला समीक्षक डॉ. बीएन गोस्वामी ने कला प्रेमियों के दिलों पर ऐसा राज किया, जैसा उनसे पहले कुछ ही लोग कर पाये थे। करीब एक पखवाड़े पहले ही उन्होंने अपनी नयी पुस्तक ‘द इंडियन कैट : स्टोरीज़, पेंटिंग्स, पोएट्री एंड प्रोवर्ब्स’ का विमोचन किया था। किसने सोचा होगा कि ज्ञानवर्धक व्याख्यान से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाला विद्वान कुछ ही दिनों में चला जाएगा।

मिनिएचर आर्ट के विद्वान, पहाड़ी चित्रकला पर अविश्वसनीय पकड़, वह एक ऐसे शिक्षाविद् थे, जिन्होंने अपने विषयों की विद्वतापूर्ण योग्यता से समझौता किए बिना एक आम आदमी के लिए कला की जटिलता को समझा।

तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित गोस्वामी ने 26 से अधिक पुस्तकें लिखीं। सिटी ब्यूटीफुल में रहने वाले गोस्वामी ने अपनी कला से इस शहर के परिदृश्य को और सुशोभित किया। वह द ट्रिब्यून के नियमित स्तंभकार रहे। उनके स्पष्ट लेखन का उत्सुकता से इंतजार किया जाता था। उनकी ओर से प्रशंसा का एक शब्द भी कलाकारों के दिलों को खुश कर देता था। कलाकार बिरादरी उनका दिल से सम्मान करती है। उनका चुंबकीय करिश्माई व्यक्तित्व, वाक्पटुता उनके लेखन में भी झलकती थी। पंडित सेउ, नैनसुख और मनकू जैसे प्रसिद्ध लघुचित्रकारों की वंशावली का पता लगाने के अलावा, उन्होंने पांच पुस्तकें- नैनसुख ऑफ गुलेर : ए ग्रेट इंडियन पेंटर फ्रॉम अ स्मॉल हिल-स्टेट, पहाड़ी मास्टर्स : कोर्ट पेंटर्स ऑफ नॉर्दर्न इंडिया, पेंटर्स एट द सिख कोर्ट और एसेंस ऑफ इंडियन आर्ट प्रकाशित कीं। उनकी उल्लेखनीय कृतियों में पेंटेड विज़न : द गोयनका कलेक्शन ऑफ़ इंडियन पेंटिंग्स, द स्पिरिट ऑफ इंडियन पेंटिंग : क्लोज एनकाउंटर्स विद 101 ग्रेट वर्क्स शामिल हैं। प्रसिद्ध कलाकार शक्ति बर्मन पर उनकी पुस्तक ‘शक्ति बर्मन : अ प्राइवेट यूनिवर्स’, कलात्मक अभिव्यक्ति और कला के बारे में उनकी समझ का एक और प्रमाण है, जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

15 अगस्त, 1933 को सरगोधा (अब पाकिस्तान में) में जन्मे गोस्वामी की समृद्ध विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनके जाने के बाद इस खालीपन को कभी भरा नहीं जा सकेगा। उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों का अनुकरण करना एक कठिन कार्य होगा। उन्होंने अपना पूरा जीवन अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़ दी। अपने शानदार करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वह अहमदाबाद के साराभाई फाउंडेशन के पूर्व उपाध्यक्ष थे। उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय में ललित कला संग्रहालय विकसित करने का श्रेय जाता है। पीयू, चंडीगढ़ में कला इतिहास के एमेरिट्स प्रोफेसर रहते हुए उन्होंने कई उभरती प्रतिभाओं को प्रेरित और पोषित किया, जिनमें से कई आज कला जगत में प्रसिद्ध नाम हैं।

Advertisement
×