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Rani ki Bawdi: संभल में खुल रहे नए-नए राज, अब मिली 150 साल पुरानी रानी की बावड़ी

Rani ki Bawdi: संभल में खुल रहे नए-नए राज, अब मिली 150 साल पुरानी रानी की बावड़ी
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संभल (उप्र), 22 दिसंबर (भाषा)

Rani ki Bawdi: उत्तर प्रदेश के संभल में चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में खुदाई के दौरान लगभग 150 साल पुरानी और 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली बावड़ी मिली है।

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चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि शनिवार को स्थल पर खुदाई शुरू हुई। संभल में 13 दिसंबर को लगभग 46 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर के फिर से खुलने के बाद यह खुदाई की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान संरचना का पता चला। अधिकारियों ने कहा कि मंदिर की बावड़ी के अंदर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां मिलीं।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान किया गया था। संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि इस स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की संभावना पर विचार किया जा रहा है, और यदि आवश्यक हुआ तो एएसआई से अनुरोध किया जा सकता है।

मीडिया से बात करते हुए पेंसिया ने कहा, “यह स्थल पहले तालाब के रूप में पंजीकृत था। बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर की है। उन्होंने कहा कि संरचना में चार कमरे और एक बावड़ी भी है। ” पेंसिया ने कहा कि संरचना को नुकसान से बचाने के लिए काम सावधानी से किया जा रहा है।

डीएम ने कहा, "खुदाई जारी रहेगी, और क्षेत्र में अतिक्रमण को हटाया जाएगा। प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि बावड़ी लगभग 125 से 150 साल पुरानी है।" अधिकारी ने बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जो जीर्ण-शीर्ण हो गया है। डीएम ने कहा कि लगभग 150 साल पुराने माने जा रहे मंदिर में दो मूर्तियां हैं जिन्हें अलग-अलग मंदिरों में सुरक्षित रखा गया है।

उन्होंने आश्वासन दिया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए जाएंगे और इसके आसपास के सभी अतिक्रमणों को हटाया जाएगा। दो दिन पहले आयोजित एक जनसभा के दौरान चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने जिला कार्यालय को प्राचीन बावड़ी के बारे में जानकारी दी और पास के बांके बिहारी मंदिर की बिगड़ती स्थिति का उल्लेख किया। किशोर ने दावा किया कि पहले इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लोग रहते थे और बिलारी की रानी यहीं रहती थीं।

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