नयी दिल्ली/जयपुर, 13 अगस्त (ट्रिन्यू/एजेंसी)
राजस्थान में महीनेभर से मचे सियासी घमासान का पटाक्षेप अब विधानसभा में हो जाएगा। प्रदेश विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू हो रहा है। गुटबाजी से जूझ रही अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ विपक्षी दल भाजपा ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। जबकि भाजपा के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी घोषणा कर दी कि कांग्रेस खुद विश्वास प्रस्ताव पेश करेगी।
सत्तापक्ष और विपक्ष की घोषणाओं के बाद अब मुख्यमंत्री गहलोत सदन में बहुमत साबित करेंगे। वैसे तो बागी नेता सचिन पायलट के लौट आने से गहलोत सरकार पर छाया सियासी संकट फिलहाल टलता दिख रहा है, लेकिन पायलट का पुनर्वास होने तक कांग्रेस का संकट बरकरार रहने की आशंका है। विधानसभा सत्र की पूर्व संध्या पर भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्यपाल कलराज मिश्र से राजभवन में मुलाकात की।
इधर, कई दिन की कड़वाहट और एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले गहलोत और पायलट की आखिरकार बृहस्पतिवार को मुलाकात हो ही गयी। कांग्रेस हाईकमान से मिले आश्वासन के बाद जयपुर लौटे पायलट और उनके समर्थक विधायक मुख्यमंत्री गहलोत से मिलने उनके आवास गए। मुलाकात के बाद विधायक दल की बैठक में गहलोत ने कहा कि जो बातें हुई, उन्हें भुला दें। हम इन 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते, लेकिन वह खुशी नहीं होती, क्योंकि अपने तो अपने होते हैं।
कांग्रेस सभी गुटों को साथ लाने की कोशिश में जुटी है। इसके तहत पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और विधायक भंवरलाल शर्मा के निलंबन को वापस ले लिया गया। दोनों पर सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया था।
कुछ लोग फैला रहे भाजपा में फूट की खबरें
भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि कुछ लोग भाजपा में फूट की खबरें फैला रहे हैं, लेकिन भाजपा एक परिवार है। विधायक दल की बैठक के बाद राजे ने इस संबंधी ट्वीट किया।