दो जजों पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई
सौरभ मलिक/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 जून
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह की अनिवार्य सेवानिवृत्ति और हरियाणा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके जैन को बर्खास्त करने की सिफारिश की है।
हाईकोर्ट की सिफारिशों के कारणों के बारे में विवरण तुरंत उपलब्ध नहीं है। ऐसा माना जाता है कि तेजविंदर सिंह के खिलाफ आरोपों में से एक यह था कि वह अनिवार्य अनुमति के बिना मकान बनवा रहे थे। उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि पठानकोट सेशंस डिवीजन के तत्कालीन निरीक्षण जज जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल द्वारा एक प्रशासनिक नोट के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गयी थी। वहीं, जैन के खिलाफ हाईकोर्ट की सतर्कता शाखा द्वारा शिकायतों की जांच के बाद कार्रवाई की गयी है।
तेजविंदर सिंह ने पठानकोट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में 10 जून, 2019 को कठुआ बलात्कार और हत्या मामले में सात में से छह आरोपियों को दोषी ठहराया था। वह 1991 में 23 साल की उम्र में पंजाब न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे। उनका नाम भारत के सबसे कम उम्र के मजिस्ट्रेट के रूप में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के 1993 के संस्करण में शामिल किया
गया था।
10 माह में 10 न्यायिक अधिकारियों पर एक्शन : हाईकोर्ट ने लगभग दस महीनों में पंजाब और हरियाणा के दस न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। पिछले साल 9 जुलाई को जस्टिस शील नागू के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से पंजाब के तीन और हरियाणा के छह न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है। पंजाब से दो अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि एक की सेवाएं निलंबित कर दी गयी हैं। हरियाणा से दो न्यायिक अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि चार की सेवाएं निलंबित कर दी गयी हैं।
कड़ा संदेश : एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने यह कड़ा संदेश दिया है कि न्यायिक जवाबदेही वैकल्पिक नहीं है- यह अनिवार्य है। संस्था की पवित्रता को बनाए रखते हुए न्यायालय ने यह प्रदर्शित किया है कि कोई भी न्यायाधीश जांच से परे नहीं है। यह कदम जनता के विश्वास को मजबूत करता है कि न्यायपालिका अपने घर को व्यवस्थित करने के लिए
तैयार है।’