नयी दिल्ली, 5 जुलाई (ट्रिन्यू)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कहा है कि देश में उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए पीएचडी अब अनिवार्य नहीं है। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट), राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) और राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (एसएलईटी) अब कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पर्याप्त होंगी। विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय यूजीसी ने बुधवार को घोषणा की कि सहायक प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए नेट न्यूनतम मानदंड होगा और पीएचडी वैकल्पिक होगी। एक गजट अधिसूचना में, यूजीसी ने कहा कि ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए अन्य उपाय) विनियम, 2018 में पहले ही संशोधन किए जा चुके हैं। 2018 में, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश स्तर के पदों के लिए उम्मीदवारों को अपनी पीएचडी पूरी करने के लिए तीन साल का समय दिया था। इसने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 2021-22 शैक्षणिक सत्र से भर्ती के लिए मानदंड लागू करने के लिए भी कहा था, अब इसे निरस्त कर दिया गया है।