लखनऊ : ताजमहल के 22 बंद दरवाजों को खोलने और इसका ‘असली इतिहास’ खोजने के लिए फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित करने की मांग वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है। बिना कानूनी प्रावधानों के याचिका दायर करने पर पीठ ने याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह की खिंचाई की। अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता यह नहीं बता सका है कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने और बेहतर कानूनी शोध के साथ नयी याचिका दायर करने की अनुमति मांगी। लेकिन पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी। यह याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की थी। गौरतलब है कि कई दक्षिणपंथी संगठन यह दावा कर चुके हैं कि मुगल काल का यह मकबरा अतीत में भगवान शिव का मंदिर था। यह स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है।