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पाकिस्तानी गोलाबारी के बीच सुरक्षित स्थानों पर भेजे जा रहे सीमा के निकट रहने वाले लोग

पाक के हमले में 4 बच्चों और एक सैनिक समेत 13 लोगों की मौत
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जम्मू, 7 मई (एजेंसी)

पाकिस्तान की ओर से हो रही गोलीबारी के मद्देनजर नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले सैकड़ों लोगों को बुधवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इससे पहले दिन में पाकिस्तानी सेना ने जम्मू क्षेत्र के पुंछ व राजौरी तथा उत्तरी कश्मीर के बारामूला व कुपवाड़ा के अग्रिम गांवों पर गोलाबारी और मोर्टार से हमला किया।

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इसमें 4 बच्चों, दो महिलाओं व एक सैनिक समेत 13 लोगों की मौत हो गई तथा 50 से अधिक घायल हो गए। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के नौ ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसके तुरंत बाद सीमापार से गोलीबारी हुई। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित जोरियन गांव के निवासी लियाकत अली ने कहा, हालांकि हमारे गांव में सीमा पार से कोई गोलीबारी नहीं हुई है, लेकिन हमें आरएस पुरा में स्थित आईटीआई कॉलेज में स्थानांतरित होने को कहा गया है।

यहां मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए सरकार ने हमारे रहने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं। हमें अपनी सुरक्षा के लिए बाहर जाने को कहा गया है और हम सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव की आबादी 1,000 से अधिक है। अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास गगरियां और आसपास के गांवों के निवासियों ने कहा कि उन्हें भी अधिकारियों ने सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा है। मुंशी राम ने कहा, हम सीमाओं की सुरक्षा के लिए हमेशा अपने सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं।

एक पुलिसकर्मी गांव में आया और लोगों से कहा कि वे फिलहाल सरकारी आवास या किसी रिश्तेदार के घर शरण ले लें।” उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासी सुरक्षा एजेंसियों की आंख और कान की तरह हैं, लेकिन मौजूदा युद्ध जैसी स्थिति सीमा के आसपास रहने वाले लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा और जम्मू-कश्मीर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रविंदर रैना समेत राजनीतिक नेताओं ने नागरिकों के रिहायशी इलाकों पर पाकिस्तानी गोलाबारी की निंदा की।

कर्रा ने ‘एक्स’ पर कहा, “पाकिस्तान द्वारा पुंछ, मेंढर और उरी सेक्टरों में आम लोगों के क्षेत्रों को निशाना बनाना बेहद निंदनीय है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह प्रभावित परिवारों को सुरक्षित तरीके से निकालने और व्यापक पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करे।

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