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किसानों से अधिक सरकारी रुकावटों से लोग परेशान

पुलिस की सख्ती के कारण चंडीगढ़ नहीं पहुंच पाये किसान, जहां रोका वहीं धरने पर बैठे
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बुधवार को जीरकपुर में चंडीगढ़ सीमा के पास बैरिकेडिंग के कारण लगा भारी जाम। - रवि कुमार
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दैनिक ट्रिब्यून टीम

चंडीगढ़, 5 मार्च

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संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर बुधवार को एक हफ्ते के पक्के मोर्चे के लिए चंडीगढ़ पहुंचने के किसानों के प्रयासों को पुलिस ने भले विफल कर दिया, लेकिन आम लोगों को प्रदर्शन से ज्यादा परेशानी सरकारी ‘रुकावटों’ के कारण झेलनी पड़ी। किसानों को रोकने के लिए पंजाब में राजमार्गों और अन्य सड़कों से लेकर चंडीगढ़ सीमा तक जबर्दस्त नाकाबंदी की गयी थी। रास्ता रोकने के लिए कई जगह टिप्पर भी खड़े किये गये थे। पुलिस द्वारा कारों, बसों और दोपहिया वाहन चालकों की भी चेकिंग की गयी। चंडीगढ़ की सीमा को कई स्तर की बैरिकेडिंग से सील कर दिया गया था। शहर के एंट्री पॉइंट्स पर सख्त चेकिंग के कारण भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति रही। जीरकपुर, कुराली, घड़ुआं में सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं।

सुबह से ही राज्य भर से किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों पर सवार होकर समूहों में चंडीगढ़ की तरफ रवाना होने लगे। किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंधेर ने भी एसकेएम को समर्थन देते हुए अपने संगठन के सदस्यों को 18 जिलों में राज्य सरकार के पुतले जलाने को कहा। किसानों को पंजाब पुलिस ने जहां रोका, किसान वहीं सड़कों पर बैठ गये। इस बीच, जोगिंदर सिंह उगराहां सहित कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस द्वारा रोके जाने पर संगरूर-चंडीगढ़ मार्ग पर किसान भवानीगढ़, चन्नो और घराचों के निकट धरने पर बैठ गये। मलेरकोटला-पटियाला हाईवे पर गांव बागड़िया के पास पुलिस ने पांच प्रमुख किसान संगठनों के नेताओं को रोका तो वह हाईवे पर बैठ गये। बनूड़ से आगे टोल प्लाजा पर चंडीगढ़ की तरफ जाने वाले हर वाहन की जांच की गयी। ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों पर सवार किसानों को पुलिस ने आगे नहीं बढ़ने दिया अौर उन्हें बसों में नजदीक के पुलिस स्टेशनों में ले जाया गया।

उधर फिरोजपुर, फरीदकोट, मोगा और लुधियाना से ट्रैक्टर-ट्राॅलियों पर सवार होकर चंडीगढ़ जा रहे किसानों को पुलिस ने समराला में हैडों पुलिस चौकी पर रोक लिया, तो किसानों ने वहीं सड़क पर दरियां बिछा कर डेरा डाल दिया।

बरनाला में बड़बर टोल प्लाजा और तपा में बठिंडा-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर पुलिस द्वारा रोके जाने पर किसान संगठनों ने वहीं धरना शुरू कर दिया।

उगराहां संगठन के नेता सुखदेव सिंह कोकरी कलां के मुताबिक जेठूके (बठिंडा), धापई (मानसा), भलाईआना (मुक्तसर), लाधूका (फाजिल्का), महमूदपुर (पटियाला), धमोट (लुधियाना), थोबा (अमृतसर) और मवई (जालंधर) में सैकड़ों महिलाओं समेत हजारों किसानों और मजदूरों को जबरन रोके जाने के बाद उन्होंने सड़क किनारे बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरहिंद, चुन्नी, बालाचौर, बंगा, फिल्लौर, नकोदर और ब्यास में भी ऐसी स्थिति रही।

मोहाली में सख्त नाकाबंदी के बीच 25-30 किसान पुलिस को चकमा देकर किसी तरह शहर में दाखिल हो गये, जन्हें हिरासत में लेकर मटौर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मोहाली पुलिस ने एक दर्जन से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियों को अपने कब्जे में लिया।

एसकेएम आज लुधियाना में बनाएगा अगली रणनीति

एसकेएम ने राज्य की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के खिलाफ रोष जताते हुए पुतले फूंके। किसानों और पुलिस के बीच झड़प की छोटी-मोटी घटनाएं भी हुईं। नाराज किसान यूनियनों ने फैसला किया कि जहां भी उन्हें रोका गया है, वहीं पर धरना जारी रखा जाएगा। एसकेएम के नेता आगे की रणनीति तय करने के लिए बृहस्पतिवार को लुधियाना में बैठक करेंगे। पंजाब पुलिस ने देर शाम दावा किया कि कुछ धरने हटा लिए गये हैं। हालांकि, किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने देर शाम एक बयान जारी कर कहा कि राज्य में 18 जगहों पर बड़े धरने चल रहे हैं और तब तक जारी रहेंगे, जब तक एसकेएम अपनी आगे की रणनीति तय नहीं कर लेता।

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