पटना/ नयी दिल्ली, 8 अगस्त (एजेंसी)
बिहार में राजनीतिक संकट के बीच मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने सोमवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा से संबंध तोड़ देते हैं, तो वह उन्हें और उनकी पार्टी को गले लगाने के लिए तैयार हैं। उधर, कांग्रेस ने कहा कि अगर नीतीश भाजपा से अलग होते हैं तो पार्टी विपक्षी खेमे में उनका स्वागत करेगी। वामदलों ने भी कहा कि यदि नयी सरकार बनती है तो हम मदद का हाथ बढ़ाएंगे।
इस बीच, कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश की जदयू और भाजपा के बीच कुछ समय से चल रही खींचतान अब अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुकी है। जदयू ने मंगलवार को अपने विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। लालू प्रसाद यादव नीत राजद ने भी विधायक दल की बैठक बुला ली है। अहम बैठक से एक दिन पहले जदयू ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो भी फैसला लिया जाएगा, वह पूरे संगठन को स्वीकार्य होगा। जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, ‘नीतीश कुमार जदयू के निर्विवाद नेता हैं। पार्टी में किसी विभाजन का सवाल ही नहीं है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी जो भी फैसला लेगी, वह सभी को स्वीकार्य होगा।’
नीतीश 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राजग में लौट आए थे। भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस की नयी महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे। नीतीश द्वारा ‘एक और राजनीतिक पलटी’ मारने के कयास प्रबल तब हुए जब वह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए। वह नीति आयोग की रविवार को हुई बैठक में भी शामिल नहीं हुए। इसके बाद जदयू ने घोषणा की कि वह अपने किसी प्रतिनिधि को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नहीं भेजेगी।