नयी दिल्ली, 22 नवंबर (एजेंसी)
करीब 2 साल के विचार-विमर्श के बाद निजी डेटा सुरक्षा विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट को सोमवार को अंगीकार कर लिया गया। इसमें उस प्रावधान को बरकरार रखा गया है, जो सरकार को अपनी जांच एजेंसियों को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से मुक्त रखने का अधिकार देता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस प्रावधान और कुछ अन्य बिंदुओं को लेकर अपनी ओर से असहमति का नोट भी दिया।
लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा और डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना के मकसद से यह विधेयक 2019 में लाया गया था। इसके बाद इसे इस समिति के पास भेजा गया था। जयराम रमेश के अलावा कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, विवेक तन्खा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, महुआ मोइत्रा और बीजू जनता दल के सांसद अमर पटनायक ने भी समिति की कुछ सिफारिशों को लेकर असहमति का नोट दिया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता में पिछले 4 महीनों में हुए समिति के कामकाज की सराहना की। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें असहमति का विस्तृत नोट देना पड़ा, क्योंकि उनके सुझावों को स्वीकार नहीं किया गया और वह समिति के सदस्यों को मना
नहीं सके। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि वह इस प्रस्तावित कानून के बुनियादी स्वरूप से असहमत हैं। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि जासूसी और इससे जुड़े अत्याधुनिक ढांचा स्थापित किए जाने के प्रयास के कारण पैदा हुई चिंताओं पर पूरी तरह ध्यान नहीं दिया गया है।
कुछ विपक्षी सदस्यों ने सुझाव दिया था कि सरकार को अपनी एजेंसियों को छूट देने के लिए संसदीय मंजूरी लेनी चाहिए, ताकि जवाबदेही हो सके, हालांकि इसे स्वीकार नहीं किया गया।
धारा 35 और 12 में संशोधन का सुझाव
जयराम रमेश ने असहमति के नोट में यह सुझाव दिया कि विधेयक की सबसे महत्वपूर्ण धारा 35 और 12 में संशोधन किया जाए। उन्होंने कहा कि धारा 35 केंद्र सरकार को असीम शक्तियां देती है कि वह किसी भी सरकारी एजेंसी को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रख दे। रमेश ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में निजी क्षेत्र की कंपनियों को नयी डेटा सुरक्षा व्यवस्था के दायरे में आने के लिए 2 साल का समय देने का सुझाव है, जबकि सरकारों या उनकी एजेंसियों के लिए ऐसा नहीं किया गया है।
तृणमूल सांसदों ने कहा निजता के अधिकार की सुरक्षा के उपाय नहीं
समिति में शामिल तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि यह विधेयक स्वभाव से ही नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने समिति के कामकाज को लेकर भी सवाल किया। सूत्रों के मुताबिक, ओब्रायन और महुआ ने असहमति के नोट में आरोप लगाया कि यह समिति अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो गई और संबंधित पक्षों को विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त समय व अवसर नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार, इन सांसदों ने विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि इसमें निजता के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित उपाय नहीं किए गए हैं।