ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 19 जनवरी
नये कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है। इस कमेटी की पहली बैठक मंगलवार को हुई। यह कमेटी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के साथ ही इन कानूनों के समर्थक किसान संगठनों से भी बात करेगी। कमेटी ने आगामी बृहस्पतिवार 21 जनवरी को किसानों के साथ बैठक तय की है। कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने कहा कि जो किसान संगठन सीधे मिल सकते हैं उनसे सीधे मीटिंग होगी, लेकिन जो संगठन सीधे नहीं मिल सकते, उनके साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से बैठक होगी।
उधर, आंदोलन कर रहे किसान संगठन इस कमेटी के सामने जाने से पहले ही इनकार कर चुके हैं। शेतकरी संगठन के किसान नेता अनिल घनवट ने कहा, ‘कमेटी की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे।’
सुप्रीम कोर्ट की इस 4 सदस्यीय कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान खुद को इससे अलग कर चुके हैं। कमेटी की पहली बैठक में 3 सदस्य, डॉ. अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद जोशी और अनिल घनवट ही शामिल हुए।
विरोधियों-समर्थकों, सबसे बात करेगी कमेटी
बैठक के बाद घनवट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार कमेटी देश में किसानों और किसानों के निकायों के साथ चर्चा करेगी, जो इन कानूनों के समर्थक अथवा विरोध में हैं। समिति राज्य सरकारों, राज्य विपणन बोर्डों और अन्य उत्पादक संगठनों से भी विचार-विमर्श करेगी। इनमें किसान उत्पादक संगठन और सहकारी समितियां आदि शामिल हैं। कमेटी शीघ्र ही किसान यूनियनों और संघों को इन कानूनों पर अपने विचारों पर चर्चा करने के लिए निमंत्रण भेजेगी। इसके लिए कमेटी एक पोर्टल भी उपलब्ध कराएगी। किसान इस पोर्टल पर भी अपने विचार दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि कमेटी सभी संबंधित विषयों पर सभी की राय जानने की इच्छुक है, ताकि वह ऐसे सुझाव दे सके जो निश्चित रूप से देश के किसानों के हित में होंगे।
निजी राय अलग रखेंगे : घनवट
नयी दिल्ली (एजेंसी) : अनिल घनवट ने कहा कि समिति के सदस्य रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय अलग रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘न तो हम किसी के पक्ष में हैं और न ही सरकार की ओर से हैं। हम सभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से हैं।’ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों द्वारा सदस्यों के सरकार समर्थक होने के आरोपों पर घनवट ने कहा, ‘आप हमारे पास बातचीत के लिए आइए। हम आपकी सुनेंगे और आपकी राय को अदालत के समक्ष रखेंगे। ’
सुधार जरूरी : घनवट ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार की बहुत जरूरत है और कोई भी राजनीतिक पार्टी अगले 50 साल में इसकी कोशिश नहीं करेगी अगर इन कानूनों को वापस लिया जाता है। उन्होंने कहा कि 70 साल से लागू कानून किसानों के हित में नहीं थे।