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एक सीमा, तीन दुश्मन, चीन ने आपरेशन सिंदूर में PAK को बनाया हथियारों की प्रयोगशाला

India Pakistan War: भारतीय थल सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह बोले
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नई दिल्ली, 4 जुलाई (एजेंसी)

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India Pakistan War: भारतीय थल सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेंस) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सामने आए रणनीतिक सबकों पर खुलकर चर्चा की। नई दिल्ली में आयोजित FICCI सम्मेलन 'New Age Military Technologies' में उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन आधुनिक युद्ध की जटिलताओं को उजागर करने वाला एक अहम अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि भारत को एक नहीं, बल्कि तीन दुश्मनों का सामना करना पड़ा – पाकिस्तान, चीन और तुर्की का अप्रत्यक्ष समर्थन। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान चीनी हथियारों की प्रयोगशाला बना हुआ था।

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, “इस ऑपरेशन में हमारे सामने एक ही सीमा पर तीन दुश्मन थे। पाकिस्तान सामने था, लेकिन चीन ने उसे हर संभव मदद दी। पाकिस्तान के 81% सैन्य उपकरण अब चीनी हैं।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान को चीन की ओर से भारत के “महत्वपूर्ण वेक्टरों” की लाइव जानकारी मिल रही थी, जिससे उसकी रणनीति को सीधा फायदा हुआ।

तुर्की की भी भूमिका पर बड़ा खुलासा

जनरल सिंह ने यह भी बताया कि तुर्की ने पाकिस्तान को Bayraktar ड्रोन समेत कई तरह की आधुनिक ड्रोन तकनीक मुहैया कराई, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल की गई। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन से यह स्पष्ट हो गया कि भारत को एक और अधिक मजबूत व आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, इस बार हमारी आबादी वाले इलाकों को ज्यादा निशाना नहीं बनाया गया, लेकिन अगली बार ऐसा हो सकता है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।

सटीक हमले और रणनीतिक नेतृत्व की सराहना

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर किए गए सटीक हमलों की सराहना की। उन्होंने बताया कि कुल 21 टारगेट्स की पहचान की गई, जिनमें से 9 को अंतिम क्षण में अटैक के लिए चुना गया। यह फैसला अंतिम दिन, अंतिम घंटे में लिया गया ताकि प्रभावी संदेश दिया जा सके कि भारत एक एकीकृत और रणनीतिक दृष्टिकोण वाला देश है।

युद्ध शुरू करना आसान है, लेकिन उसे नियंत्रित करना मुश्किल

जनरल सिंह ने यह भी जोड़ा कि ऑपरेशन सिंदूर में त्रि-सेना (Tri-Services) रणनीति को अपनाया गया ताकि स्पष्ट संदेश दिया जा सके कि भारत किसी भी खतरे से सामूहिक रूप से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि “युद्ध शुरू करना आसान होता है, लेकिन उसे रोकना सबसे कठिन। हमने सही समय पर उसे रोका, यह एक मास्टर स्ट्रोक था।”

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