Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

NHAI : पंजाब ने किसानों को दिया छप्पर फाड़ मुआवजा, पटरी पर एनएचएआई परियोजनाएं

‘मामूली’ राशि के लिए जमीन छोड़ने को तैयार नहीं थे, 600 फीसदी की हुई बढ़ोतरी, 12 लाख से बढ़ाकर दिये 85 लाख प्रति एकड़
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
एनएचएआई परियोजना के लिए जमीन खाली किए जाने के बाद संबंधित जगहों पर पिलर लगाते कर्मी।
Advertisement

नितिन जैन/ट्रिन्यू

लुधियाना, 12 दिसंबर

Advertisement

पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) (NHAI) की रुकी हाईवे परियोजनाएं एक के बाद एक पटरी पर लौटने लगी हैं। इसमें 37.7 किलोमीटर लंबा लुधियाना-रोपड़ हाईवे भी शामिल है, जो 2900 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना है। इन परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत भूमि पर किसानों से कब्जा ले लिया गया है और इन्हें रुके काम शुरू करने के लिए कंपनियों को सौंप दिया गया है। इससे पहले, किसान लंबे समय से अपनी भूमि के लिए अनुचित मुआवजे के खिलाफ विरोध कर रहे थे।

‘द ट्रिब्यून’ की पड़ताल में पता चला है कि मुआवजा दरों में 600 प्रतिशत की भारी वृद्धि के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब में हाईवे परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत अपनी जमीनें अचानक खाली करनी शुरू कर दी, जो पिछले कुछ वर्षों से रुकी हुई थीं।

यह तब हुआ, जब केंद्र ने राज्य सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि अधिगृहीत भूमि पर कब्जा न मिलने की स्थिति में पंजाब में एनएचएआई की रुकी हुई सभी परियोजनाएं समाप्त कर दी जाएंगी या वापस ले ली जाएंगी। इसके बाद पंजाब सरकार एक्शन में आई। मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर मुख्य सचिव अनुराग वर्मा और डीजीपी गौरव यादव तक, राज्य के शीर्ष अधिकारियों ने इस मामले की जिम्मेदारी संभाली, जो ‘द ट्रिब्यून’ में प्रकाशित कई रिपोर्टों के बाद सुर्खियों में आ गया था। उन्होंने जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बात करें और लगभग 318.37 किलोमीटर अधिगृहीत भूमि को कब्जे से मुक्त करावाकर इसे सुचारू और शांतिपूर्ण तरीके से एनएचएआई को सौंपें।

प्रमुख विकास योजनाओं के लिए अधिगृहीत भूमि की खरीद किस गति से की जा रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लगभग पांच महीनों के दौरान 37 रुकी हुई हाईवे (Highway)  परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए एनएचएआई को 125 एकड़ से अधिक भूमि दी गई है। इसके साथ ही राज्य में कुल अधिगृहीत भूमि का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पहले ही खरीदा जा चुका है।

‘द ट्रिब्यून’ द्वारा की गई जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए कि किस तरह प्रदर्शनकारी किसानों को उनकी जमीन खाली करने के लिए 85 लाख रुपये प्रति एकड़ से अधिक की मुआवजा दर की पेशकश की गई, जो कि प्रारंभिक मुआवजे की दर 12 लाख रुपये प्रति एकड़ से 600 प्रतिशत अधिक थी।

लुधियाना जिले में, एनएचएआई की प्रमुख दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे (NHAI)के तहत अधिगृहीत 12.75 किमी भूमि को मुक्त करा दिया गया है। इसके लिए उन्हें 81 लाख से 85 लाख रुपये प्रति एकड़ के बढ़े मुआवजे की पेशकश की गई। आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चला है कि कालख में 1.38 एकड़, कोट अग्गा में 0.77 एकड़, लोहगढ़ में 0.6 एकड़ और बल्लोवाल गांव में 1.83 एकड़ भूमि पर कब्जा लेने के लिए 85 लाख 15000 रुपये प्रति एकड़ का उच्चतम मुआवजा दिया गया, जबकि प्रारंभिक मुआवजा क्रमशः 12 लाख 84 हजार 627 रुपये और 12 लाख 18 हजार 627 रुपये प्रति एकड़ था।

इसी तरह, छप्पर में 2.55 एकड़, धुरकोट में 1.85 एकड़, रंगुवाल में 0.1 एकड़ और जुराहा गांव में 1.75 एकड़ जमीन 2021-22 में घोषित 12 लाख 18 हजार 627 रुपये प्रति एकड़ के शुरुआती मुआवजे के मुकाबले 81.44 लाख रुपये प्रति एकड़ का बढ़ा हुआ मुआवजा देने के बाद ली गई। गुज्जरवाल गांव में 12 लाख 18 हजार 627 रुपये के प्रारंभिक मुआवाजे के मुकाबले 84.16 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से 3.3 एकड़ भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘चूंकि किसान जमीन खाली करने को तैयार नहीं थे, इसलिए हमारे पास मध्यस्थता के माध्यम से उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।’

Advertisement
×