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NEET UG 2024: नीट परीक्षा में धांधली का मुद्दा संसद में उठाएगी कांग्रेस

नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) NEET UG 2024: कांग्रेस ने चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा -स्नातक' (नीट-यूजी), 2024 में कथित धांधली की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग बृहस्पतिवार को फिर...
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पत्रकारों से बातचीत करते गौरव गोगोई। वीडियो ग्रैब
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नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा)

NEET UG 2024: कांग्रेस ने चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा -स्नातक' (नीट-यूजी), 2024 में कथित धांधली की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग बृहस्पतिवार को फिर उठाई और कहा कि 24 जून से आरंभ हो रहे संसद के सत्र के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा।

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पार्टी नेता गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच चाहती है, लेकिन अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए। मुख्य विपक्षी पार्टी इस मामले में लगातार यह मांग कर रही है।

यह भी पढ़ें: NEET UG 2024: नीट के 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क देने का फैसला वापस, स्टूडेंट्स को दिया विकल्प

कांग्रेस सांसद गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नीट परीक्षा में हुई धांधली के आरोपों पर सरकार का जो रवैया रहा है, उस पर उन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में सरकार ने जताया है कि 1563 छात्रों का स्कोरकार्ड रद्द किया जाएगा और उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। वे बच्चे जो दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते, उनके कृपांक हटाने के बाद जो अंक रहेंगे, वही फाइनल अंक माने जाएंगे। जो छात्र 23 जून को दोबारा परीक्षा देंगे, उनका 30 जून को परिणाम आएगा और फिर 6 जुलाई से काउंसलिंग शुरू होगी।''

यह भी पढ़ें: NEET UG 2024: नीट-यूजी में प्रश्नपत्र लीक होने का कोई प्रमाण नहीं: धर्मेंद्र प्रधान

उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस मामले पर चर्चा से भाग रहे हैं। गोगोई ने कहा, ‘‘जिस एनटीए के नेतृत्व में यह पूरा घोटाला हुआ, आप उसी एजेंसी से मामले में जांच करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है?''

उन्होंने कहा, ‘‘परीक्षा केंद्र और कोचिंग सेंटर का एक गठजोड़ बन चुका है, जिसने आज हमारे मध्यम-गरीब वर्ग को हिला कर रख दिया है। 'पैसे दो-पेपर लो' जैसी सांठगांठ की जांच एनटीए कैसे कर पायेगा ? इसमें एनटीए का कोई न कोई अधिकारी शामिल है। ऐसे में एनटीए निष्पक्ष जांच कैसे करेगा ?''

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच चाहती है। यदि सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं है तो हम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग करते हैं।''

गोगोई ने दावा किया, ‘‘हमने अलग-अलग रिकॉर्डिंग सुनी है कि कैसे लाखों रुपये मांगे जा रहे हैं। एक ही सेंटर में बच्चों को एक जैसे नंबर मिल रहे हैं। इस मामले पर सरकार का रवैया कमजोर रहा है और वह इस मुद्दे से भाग रही है। लेकिन देश के मुद्दों को उठाना विपक्ष का कर्तव्य है और हम सदन के अंदर अपने 24 लाख छात्रों की आवाज जोर-शोर से उठाएंगे।''

अपनी गिरती अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने जी7 सम्मेलन में शामिल होने जा रहे मोदी : कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी ‘‘गिरती अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के मकसद से'' जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जा रहे हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने 2007 के जी7 शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 'ग्लोबल साउथ' (विकासशील देशों) की आवाज बनकर उभरे थे।

प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरे कार्यकाल में कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत वार्षिक जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए आज इटली रवाना होंगे। जी7 शिखर सम्मेलन का आयोजन इटली के अपुलिया क्षेत्र में लग्जरी रिजॉर्ट बोरगो एग्नाजिया में 13 से 15 जून तक होना है।

बैठक में यूक्रेन में युद्ध और गाजा संघर्ष का मुद्दा छाये रहने की संभावना है। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन और जापान के राष्ट्राध्यक्षों का जी7 शिखर सम्मेलन 1970 के दशक से होता आ रहा है। 1997 से 2014 के बीच रूस भी इसका सदस्य था। 2003 से भारत, चीन, ब्राज़ील, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका को भी जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है।"

उन्होंने कहा, "भारत के दृष्टिकोण से सबसे अहम जी7 शिखर सम्मेलन जून, 2007 में जर्मनी के हेलिगेंडम में हुआ था। यहीं पर वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रसिद्ध 'सिंह-मर्केल फॉर्मूला' पहली बार दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था। इसके बारे में अभी भी बात होती है। "

रमेश के मुताबिक, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने तब इतिहास रचा था। उन्होंने कहा कि ‘‘मनमोहन सिंह खोखली आत्म-प्रशंसा के माध्यम से नहीं, बल्कि ठोस काम के आधार पर 'ग्लोबल साउथ' की आवाज बनकर उभरे थे।''

उन्होंने कहा, "निःसंदेह हमारे ‘एक तिहाई' प्रधानमंत्री से इस इतिहास को जानने या स्वीकार करने की अपेक्षा करना बहुत दूर की बात है क्योंकि वह इस वर्ष के शिखर सम्मेलन में अपनी कम होती अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए आज इटली के लिए रवाना हो रहे हैं।"

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