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Navratri 2025 : भगवान शिव के तेज से बना मां दुर्गा का मुख, जानिए कैसे हुई देवी की उत्पत्ति

Navratri 2025 : भगवान शिव के तेज से बना मां दुर्गा का मुख, जानिए कैसे हुई देवी की उत्पत्ति
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चंडीगढ़, 27 मार्च (ट्रिन्यू)

Navratri 2025 : नवरात्रि व्रत का इतिहास भारतीय संस्कृति में बहुत पुराना है। इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। नवरात्रि का आयोजन विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत देवी शक्ति की आराधना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मगर, क्या आप जानते हैं कि देवी दुर्गा की उत्पत्ति कब और कैसे हुई...

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नवरात्रि व्रत की उत्पत्ति

मां दुर्गा की उत्‍पत्ति असुरों के राजा रंभ के पुत्र महिषासुर से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राक्षसराज महिषासुर ने ब्रह्राा जी को कठिन तपस्या करके प्रसन्‍न किया और मांगा कि वह जब चाहे विकराल व भयंकर भैंसे का रूप धारण कर सके। ब्रह्रा वरदान पाने के बाद वह अंहकारी हो गया और देवताओं से युद्ध में विजय प्राप्त करके त्रिलोकी पर अपना शासन स्थापित कर लिया।

जब संसार में बढ़ गया महिषासुर का अत्याचार

श्रीहरि और भगवान शिव भी उसे युद्ध में पराजित नहीं कर पाए। महिषासुर के अत्‍याचार बढ़ते देख त्रिदेव को एक उपाय सूझा। तब सभी देवताओं की शक्तियों से मां दुर्गा की उत्‍पत्ति हुई, जिन्हें भगवान शिव ने त्रिशुल, श्रीहरि ने चक्र, ब्रह्राा जी ने कमल का फूल, वायु देवता ने नाक व कान, पर्वतराज ने कपड़े और शेर प्रदान किया। यमराज के तेज से मां शक्ति के केश, सूर्य के तेज से पैरों की अंगुलियां, प्रजापति से दांत और अग्रिदेव से आंखें बनीं। वहीं, भगवान शिव के तेज से मां दुर्गा का मुख बना।

इसके अलावा सभी देवताओं ने अपने शस्त्र और आभूषण भी शक्ति रूप मां दुर्गा को दिए, ताकि वह महिषासुर का वध करके संसार को उसके पापों से मुक्त कर सकें। पुराणों के मुताबिक, मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिन तक भयंकर युद्ध हुआ, जिसके बाद मां ने राक्षसराज महिषासुर का वध कर दिया। इसी विजय के रूप में नवरात्रि व्रत की शुरुआत मानी जाती है।

नवरात्रि व्रत का उद्देश्य और महत्व

नवरात्रि व्रत का उद्देश्य देवी दुर्गा की पूजा करना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। यह व्रत साधक को शुद्धता, आत्मसाक्षात्कार और मानसिक शांति प्रदान करता है। नवरात्रि में देवी के विभिन्न रूपों देवी शैलपुत्री, ब्राह्माणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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