Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Muslim Personal Law: मुस्लिम पुरुष एक से अधिक विवाह करा सकते हैं पंजीकृतः बंबई हाई कोर्ट

एक दंपत्ति की याचिका पर सुनाया हाई कोर्ट ने फैसला, विवाह पंजीकरण के निर्देश
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
सांकेतिक फाइल फोटो।
Advertisement

मुंबई, 22 अक्टूबर (भाषा)

Muslim Personal Law: बंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पुरुष अपने ‘पर्सनल लॉ’ के अनुसार एक से अधिक विवाह पंजीकृत करा सकते हैं, क्योंकि उनके धार्मिक कानूनों के तहत बहुविवाह की अनुमति है। अदालत ने यह टिप्पणी एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी तीसरी पत्नी की याचिका पर की, जिसमें उन्होंने अपने विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की थी।

Advertisement

इस मामले में न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 15 अक्टूबर को ठाणे नगर निगम के उप विवाह पंजीकरण कार्यालय को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा फरवरी 2023 में दायर आवेदन पर निर्णय ले। याचिकाकर्ता ने अपनी तीसरी पत्नी, जो कि अल्जीरिया की नागरिक हैं, के साथ हुए विवाह को पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि चूंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत बहुविवाह की अनुमति है, इसलिए उनके मुवक्किल की तीसरी शादी को पंजीकृत करने में कोई कानूनी बाधा नहीं होनी चाहिए। अदालत ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित किया गया है और किसी भी मुस्लिम पुरुष को उसकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह पंजीकृत कराने से नहीं रोका जा सकता।

दंपति ने अपनी याचिका में प्राधिकारियों को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था तथा दावा किया था कि उनका आवेदन इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि यह पुरुष याचिकाकर्ता की तीसरी शादी है। प्राधिकारियों ने इस आधार पर विवाह का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत विवाह की परिभाषा में केवल एक ही विवाह को शामिल किया गया है, एक से अधिक विवाह को नहीं।

हालांकि, पीठ ने प्राधिकरण के इस इनकार को ‘‘पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित'' करार दिया और कहा कि अधिनियम में उसे ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से रोकता हो। अदालत ने कहा, ‘‘मुसलमानों के ‘पर्सनल लॉ' के तहत उन्हें एक समय में चार विवाह करने का अधिकार है। हम प्राधिकारियों की इस दलील को स्वीकार नहीं कर पा रहे कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत केवल एक विवाह पंजीकृत किया जा सकता है, यहां तक ​​कि मुस्लिम पुरुष के मामले में भी।''

पीठ ने कहा कि यदि वह प्राधिकारियों की दलील को स्वीकार कर भी ले तो इसका अर्थ यह होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, मुसलमानों के ‘पर्सनल लॉ' को नकारता है और/या उन्हें विस्थापित कर देता है। अदालत ने कहा, ‘‘इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि मुसलमानों के ‘पर्सनल लॉ' को इससे बाहर रखा गया है।''

उसने कहा कि अजीब बात यह है कि इन्हीं प्राधिकारियों ने पुरुष याचिकाकर्ता के दूसरे विवाह को पंजीकृत किया था। प्राधिकरण ने यह भी दावा किया था कि याचिकाकर्ता दंपति ने कुछ दस्तावेज जमा नहीं किए थे। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर सभी प्रासंगिक दस्तावेज जमा कराने का निर्देश दिया।

अदालत ने आदेश दिया कि एक बार ये दस्तावेज जमा हो जाने के बाद ठाणे नगर निकाय के संबंधित प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं की व्यक्तिगत सुनवाई करेंगे और 10 दिन के भीतर विवाह पंजीकरण को मंजूरी देने या इससे इनकार करने का तर्कपूर्ण आदेश पारित करेंगे। पीठ ने निर्देश दिया कि तब तक महिला याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। महिला के पासपोर्ट की अवधि इस साल मई में समाप्त हो गई थी।

Advertisement
×