16 साल बाद समय से पहले दस्तक देगा मानसून
नयी दिल्ली, 10 मई (एजेंसी)
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने रविवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है, जो आमतौर पर एक जून को दस्तक देता है। आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, यदि मानसून केरल में उम्मीद के अनुरूप पहुंचता है, तो यह 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर मानसून का समय से पहले आगमन होगा। तब मानसून ने 23 मई को दस्तक दी थी।
भारतीय मुख्य भूमि पर मानसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा तब की जाती है जब यह केरल पहुंचता है, आमतौर पर एक जून के आसपास। दक्षिण-पश्चिम मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्तूबर तक पूरी तरह से वापस हो जाता है। मानसून पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में आया था, 2023 में 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल आया था। आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि मानसून के आगमन की तिथि और पूरे देश में इस मौसम में होने वाली कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘केरल में मानसून के जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह पहुंचेगा। यह बड़े पैमाने पर परिवर्तनशीलता और वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय स्थितियों पर निर्भर होता है।’ आईएमडी ने अप्रैल में 2025 के मानसून में सामान्य से अधिक कुल वर्षा का पूर्वानुमान जताया था और अल नीनो परिस्थितियों की संभावना को खारिज कर दिया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम रविचंद्रन ने कहा था, ‘भारत में चार महीने के मानसून (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।’
पंजाब, हरियाणा, यूपी को ‘पराली सुरक्षा बल’ गठित करने का निर्देश
नयी दिल्ली (एजेंसी) :
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर ‘पराली सुरक्षा बल’ गठित करने का निर्देश दिया है। सीएक्यूएम ने प्राधिकारियों से इन राज्यों के गांवों के सभी खेतों का मानचित्र बनाने को कहा, ताकि धान की पराली के प्रबंधन के लिए सबसे उपयुक्त उपायों का निर्धारण किया जा सके। इन उपायों में फसल विविधीकरण, पराली का प्रबंधन व चारे के रूप में इस्तेमाल शामिल है। सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीति तैयार करता है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक हैं।