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Monsoon Session : कांग्रेस की मांग- पहलगाम, ट्रंप के दावे और चीन पर कम से कम 2 दिन हो चर्चा, इस पर नहीं हो सकता समझौता

रमेश ने कहा कि विपक्ष यह मांग भी करेगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में आकर इन विषयों पर जवाब दें
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि 21 जुलाई से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान पहलगाम आतंकी हमले के हमलावरों के अब तक न्याय के जद से बाहर रहने, ‘ऑपरेशन सिंदूर' पर कुछ अधिकारियों के खुलासे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे और चीन के विषय पर कम से कम दो दिनों की चर्चा होनी चाहिए।

इस मांग को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता। रमेश ने कहा कि विपक्ष यह मांग भी करेगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में आकर इन विषयों पर जवाब दें। उनका कहना था कि संसद में गतिरोध टालना और कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी विपक्ष नहीं, सरकार की है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से आरंभ हो रहा है और 21 अगस्त कुल 21 बैठकें प्रस्तावित हैं।

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हमारी दो मुख्य मांगें है। यह सिर्फ कांग्रेस की मांग नहीं है, बल्कि इंडिया ‘जनबंधन' इससे सहमत है। जिन मुद्दों को उठाने की बात हम कर रहे हैं, उनसे पीछे नहीं हटा जा सकता और कोई समझौता नहीं हो सकता। पहलगाम आतंकी हमले के हमलावर आज भी न्याय के कटघरे में नहीं लाए गए हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में 3 वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने कुछ खुलासे किए हैं।

सरकार इस पर क्या कहना चाहती है, उसका रवैया क्या है? चीन का मुद्दा भी है, ट्रंप के दावे से जुड़ा विषय भी है। करगिल युद्ध के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने करगिल समीक्षा समिति का गठन किया था, जिस पर संसद में चर्चा हुई थी। क्या पहलगाम और ‘ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में ऐसा ही विश्लेषण किया जाएगा? रमेश के अनुसार, देश की विदेश नीति और सुरक्षा के मुद्दे के अलावा दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा बिहार में जारी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विषय भी है, जो एक तरह से लोकतंत्र की हत्या है।

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में ‘वोटबंदी' के माध्यम से लाखों दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी, अब बिहार में वोटबंदी की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि ‘सर' (एसआईआर) के इशारे पर निर्वाचन आयोग लोकतंत्र पर तोप चला रहा है। आयोग के कंधे पर तोप रखकर चलाई जा रही है। इस पर चर्चा होनी चाहिए।

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