नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (एजेंसी)
जलवायु परिवर्तन भारत में मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश को कहीं अधिक अव्यवस्थित कर रहा है। इसका देश की एक अरब से अधिक की आबादी, अर्थव्यवस्था, खाद्य प्रणाली और कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। यह अध्ययन अर्थ सिस्टम डायनैमिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें दुनिया भर से 30 से अधिक जलवायु प्रारूपों की तुलना की गई है।
अध्ययन की मुख्य लेखक एवं जर्मनी स्थित पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) की एंजा काटाजेनबर्जर ने कहा, ‘हमने इस बारे में मजबूत साक्ष्य पाये हैं कि प्रत्येक डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से मॉनसून की बारिश के करीब पांच प्रतिशत बढ़ने की संभावना होगी।’ उन्होंने कहा, ‘यहां हम पहले के अध्ययनों की भी पुष्टि कर सकते हैं, लेकिन यह पाते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग मॉनसून की बारिश को पहले से सोची गई रफ्तार से कहीं अधिक तेजी से बढ़ा रही है। यह 21 वीं सदी में मॉनसून की गतिशीलता को काफी प्रभावित कर रही है।’
अध्ययनकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि भारत और इसके पड़ोसी देशों में अनावश्यक रूप से ज्यादा बारिश कृषि के लिए अच्छी चीज नहीं है। जर्मनी की लुडविंग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी से अध्ययन की सह लेखक जूलिया पोंग्रात्ज ने कहा, ‘फसलों को शुरुआत में आवश्यक रूप से पानी की जरूरत होती है, लेकिन बहुत ज्यादा बारिश होने से पौधे को नुकसान हो सकता है—इनमें धान की फसल भी शामिल है, जिस पर भरण-पोषण के लिए भारत की बड़ी आबादी निर्भर करती है।’ उन्होंने कहा, ‘यह भारतीय अर्थव्यवस्था और खाद्य प्रणाली को मॉनसून की पद्धतियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। सह लेखक एवं पीआईके और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एंडर्स लीवरमैन ने कहा कि मॉनसून की अवधि के कहीं अधिक अस्त-व्यस्त रहने से भारतीय उपमहाद्वीप में कृषि और अर्थव्यवस्था को एक खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में अत्यधिक कमी लाने को लेकर यह नीति निर्माताओं के लिए खतरे की एक घंटी है।
जलवायु प्रतिबद्धताएं बढ़ायेंगे लेकिन दबाव में नहीं
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं को बढ़ाएगा लेकिन किसी तरह के दबाव में नहीं । उन्होंने यह भी कहा कि भारत दूसरों की गलतियों का परिणाम भुगत रहा है और वह जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं है। जावड़ेकर ने ये टिप्पणियां फ्रांसीसी दूतावास में फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ले द्रियां के साथ मुलाकात के बाद अपने भाषण में कीं।