Modi Govt 1st Anniversary : वही जोश, वही नेतृत्व... एक दशक पार पर नेतृत्व में नहीं कोई थकान, मोदी 11 साल के बाद भी नंबर वन
नई दिल्ली, 8 जून (भाषा)
Modi Govt 1st Anniversary : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 जून 2024 को जब तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी, तो उस वक्त राहुल गांधी बेहद उत्साहित नजर आए थे क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूक गई थी। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उसने 543 सदस्यीय निचले सदन में 400 से अधिक सीट जीतने का दावा किया था।
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद आलोचकों ने भाजपा सरकार की तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार पर निर्भरता को रेखांकित किया था। आलोचकों ने कहा था कि नायडू और कुमार का गठबंधन बदलने का इतिहास रहा है। उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में लोकसभा चुनाव में इसका (भाजपा) प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है, जिससे भविष्य में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि हमने मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से खत्म कर दिया है।
सोमवार को मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ तथा कुल मिलाकर 11वीं वर्षगांठ मनाएगी। प्रधानमंत्री पहले की ही तरह मजबूत स्थिति में और पूरे आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं। वहीं, उनके दो प्रमुख सहयोगी (नायडू और कुमार), जिन्हें विपक्ष बैसाखी बता रहा था, न केवल भरोसेमंद साबित हुए हैं, बल्कि जमकर मोदी के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं। भाजपा ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच को नये सिरे से तैयार करने के लिए फिर से काम शुरू किया है और विधानसभा चुनावों में आश्चर्यजनक रूप से बड़ी जीत हासिल करके अपनी गति फिर से हासिल कर ली।
लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन हरियाणा और महाराष्ट्र में उम्मीद से कम रहा था। इस पार्टी ने अपने कल्याणकारी उपायों और क्षेत्रीय नेतृत्व के प्रयासों से स्थिति को बदल दिया। विधानसभा चुनाव में इन दोनों राज्यों में जीत हासिल की। भाजपा ने अंततः 26 वर्षों के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और अपने प्रतिद्वंद्वी आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को पछाड़ दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और केजरीवाल जैसे अन्य भाजपा के प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से दूर हो गए हैं और शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (एसपी) जैसे दलों का भविष्य अनिश्चित है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर मनोज कुमार इस बात पर जोर देते हैं कि विपक्ष द्वारा मोदी के खिलाफ लड़ाई में विफल रहने के बावजूद मोदी के नेतृत्व की स्थिति लगभग निर्विवाद है। उन्होंने कहा कि राजनीति में किसी भी मोड़ पर हमेशा अवसर और चुनौतियां होती हैं। ऐसा लगता है कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी हैं, उनका कोई ठोस विकल्प नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सैन्य कार्रवाई ने एक बार फिर राष्ट्रीय हित में काम करने वाले नेता के रूप में उनकी छवि को मजबूती प्रदान की है। जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का सरकार का निर्णय राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों को अपने पक्ष में करने में भाजपा की ताकत को रेखांकित करता है। पार्टी ने हमेशा जातिगत चिंताओं को दूर करने के लिए काम किया है और यह सुनिश्चित किया है कि जाति आधारित राजनीति उसके एजेंडे में न हो।