रांची, 23 जुलाई (एजेंसी)
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि मीडिया द्वारा चलाई जा रही कंगारू अदालतें और एजेंडा आधारित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं। रांची में जस्टिस सत्यव्रत सिन्हा की याद में स्थापित व्याख्यान के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि मीडिया ट्रायल किसी मामले में फैसला लेने में मार्गदर्शक कारक साबित नहीं हो सकता है। पिछले कुछ समय में हमने मीडिया को कई बार उन मुद्दों को लेकर कंगारू अदालतें चलाते देखा है, जिनमें यहां तक कि अनुभवी जजों के लिए भी निर्णय लेना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि मीडिया द्वारा प्रचारित किए जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। इससे न्याय देने की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अपनी जिम्मेदारियों से भागकर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही बची है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, क्योंकि यह जो दिखाता है, वह हवा में गायब हो जाता है। जस्टिस रमण ने कहा कि कई बार मीडिया में, खासकर सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं।
रिटायरमेंट के बाद सुरक्षा नहीं
सीजेआई ने कहा, ‘एक न्यायाधीश, जिसने कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला हो, जब सेवानिवृत्त हो जाता है तो कार्यकाल के साथ मिलने वाली सुरक्षा खो देता है? न्यायाधीशों को बिना किसी सुरक्षा या रक्षा के आश्वासन के उसी समाज में रहना पड़ता है, जिसके कुछ लोगों को उन्होंने दोषी ठहराया है।’ उन्होंने कहा, ‘राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद भी सुरक्षा मुहैया कराई जाती है।’
सरकार या अदालतों को हस्तक्षेप के लिए मजबूर न करें
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालिया ट्रेंड को देखते हुए अपने शब्दों पर विचार करना और नाप-तौलकर बोलना वास्तव में मीडिया के हित में है। आपको अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी करके सरकार या अदालतों को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देते। लेकिन कृपया इसे उनकी कमजोरी या लाचारी न समझें। जस्टिस रमण ने मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जिम्मेदारी के भाव से काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शक्ति का इस्तेमाल एक प्रगतिशील, समृद्ध और शांतिपूर्ण भारत का निर्माण करने के सामूहिक प्रयास की दिशा में लोगों को शिक्षित करने और राष्ट्र को सक्रिय करने के लिए किया जाना चाहिए।