Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Manmohan Singh Memorial Row : राजा युधिष्ठिर ने की थी निगमबोध घाट की स्थापना, शीला दीक्षित समेत कई दिग्गजों का यहीं हुआ अंतिम संस्कार

दिल्ली का सबसे पुराना व व्यस्ततम श्मशान घाट, पक्षी प्रेमियों का पसंदीदा स्थल
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा)

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार के स्थान के रूप में चर्चा में रहा निगमबोध घाट, यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो न केवल दिल्ली का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और व्यस्ततम श्मशान घाट है, बल्कि पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए भी पसंदीदा स्थल है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना इंद्रप्रस्थ के राजा युधिष्ठिर ने की थी।

Advertisement

यह श्मशान घाट पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से लेकर भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य सुंदर सिंह भंडारी तक कई कद्दावर नेताओं के अंतिम संस्कार का गवाह बना है। भारत को आर्थिक उदारीकरण के पथ पर ले जाने वाले सिंह के पार्थिव शरीर का शनिवार को यहां अंतिम संस्कार किया गया। कांग्रेस ने मांग की थी कि अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां सिंह का स्मारक बनाया जा सके। लेकिन सरकार ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। कांग्रेस ने इस निर्णय को ‘‘भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान'' बताया।

घाट को देवताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है

घाट पर भारतीय जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय, पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकांत और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत कई दिग्गज का अंतिम संस्कार किया गया। घाट में यमुना नदी तक जाने वाले कई सीढ़ीदार घाट हैं। यहां पर विद्युत शवदाह गृह का निर्माण 1950 के दशक में किया गया था। 2000 के दशक की शुरुआत में यहां सीएनजी-संचालित शवदाह गृह बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, घाट को देवताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है। एक ग्रंथ में वर्णित ऐसी ही एक किंवदंती के अनुसार 5,500 साल से भी पहले, महाभारत के समय में, जब देवता पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, ब्रह्मा ने घाट पर स्नान किया और अपनी दिव्य स्मृति पुनः प्राप्त की-जिसके कारण घाट को निगमबोध नाम मिला, जिसका अर्थ है पुनः ज्ञान प्राप्त करना।

देवताओं के राजा इंद्र बलि देते थे

आजकल, घाट दो उद्देश्यों की पूर्ति करता है। यह सबसे बड़ा और व्यस्ततम श्मशान घाट है। वहीं यह पक्षी देखने वालों एवं फोटोग्राफरों के लिए पसंदीदा स्थल है। लेखिका स्वप्ना लिडले ने अपनी पुस्तक ‘‘चांदनी चौक: द मुगल सिटी ऑफ ओल्ड दिल्ली'' में लिखा है कि प्राचीन परंपरा के अनुसार दिल्ली का संबंध इंद्रप्रस्थ से है। यानी, वह पवित्र स्थान जहां देवताओं के राजा इंद्र बलि देते थे और भगवान विष्णु की पूजा करते थे। उन्होंने किताब में लिखा है, ‘‘यमुना नदी के तट पर स्थित इस स्थान को भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया था, जिन्होंने इसे निगमबोधक कहा था, जहां नदी में डुबकी लगाने मात्र से वेदों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता था। निगमबोधक नाम का शाब्दिक अर्थ है- वह जो वेदों का ज्ञान कराता है।''

घाट की आधिकारिक स्थापना बारी पंचायत वैश्य बीसा अग्रवाल द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना 1898 में हुई थी जब दिल्ली को शाहजहांबाद के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में श्मशान घाट का संचालन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा किया जाता है। निगमबोध घाट की वेबसाइट पर दिए गए विवरण के अनुसार, ‘‘उस समय, प्रमुख व्यापारिक और कारोबारी गतिविधियां वैश्य अग्रवालों द्वारा संचालित की जाती थीं। पूरा समाज बिखरा हुआ था और अपनी इच्छा और स्थिति के अनुसार जन्म और मृत्यु कार्यक्रम आयोजित करता था, जिससे निचले तबके के लोग प्रभावित होते थे।''

इसमें कहा गया है, ‘‘इसके बाद वैश्य बीसा समाज ने विवाह, पुत्र के जन्म और मृत्यु संस्कारों पर होने वाले अत्यधिक व्यय को रोकने और इन संस्कारों को मानकीकृत करने का संकल्प लिया, ताकि गरीब लोग भी कम खर्च में इन्हें संपन्न कर सकें। तब से वैश्य बीसा अग्रवाल बड़ी पंचायत जीवन के इन महत्वपूर्ण चरणों का परिश्रमपूर्वक प्रबंधन कर रही है।''

Advertisement
×