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जीवन बीमा पॉलिसी पर ऋण सुविधा अब अनिवार्य

इरडा ने जारी किया मास्टर परिपत्र, ‘फ्री-लुक’ अवधि होगी 30 दिन
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नयी दिल्ली, 12 जून (एजेंसी)

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भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सभी जीवन बीमा बचत उत्पादों में पॉलिसी ऋण की सुविधा अब अनिवार्य कर दी है, जिससे पॉलिसीधारकों को नकदी संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

जीवन बीमा पॉलिसी के संबंध में सभी विनियमों को एकीकृत करने वाला ‘मास्टर’ परिपत्र बुधवार को जारी करते हुए इरडा ने यह बात कही। इसमें यह भी कहा गया है कि ‘फ्री-लुक’ अवधि अब 30 दिन की है। पहले यह 15 दिन थी। ‘फ्री-लुक’ अवधि में पॉलिसी के नियमों तथा शर्तों की समीक्षा करने के लिए समय प्रदान किया जाता है।

नया ‘मास्टर’ परिपत्र सामान्य बीमा पॉलिसी के लिए नियामक द्वारा की गई इसी प्रकार की प्रक्रिया के बाद आया है।

पेंशन उत्पादों से आंशिक निकासी की अनुमति : ‘मास्टर’ परिपत्र के अनुसार, पेंशन उत्पादों के तहत आंशिक निकासी की सुविधा की अनुमति दी गई है। इससे पॉलिसीधारकों को जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह; आवासीय मकान/ फ्लैट की खरीद/ निर्माण; चिकित्सकीय व्यय तथा गंभीर बीमारी के उपचार के लिए अपनी विशिष्ट वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

लोकपाल का निर्णय 30 दिन में नहीं माना तो भारी जुर्माना

परिपत्र में कहा गया, ‘यदि बीमाकर्ता बीमा लोकपाल के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं करता है और उसे 30 दिन के भीतर क्रियान्वित नहीं करता है, तो शिकायतकर्ता को प्रतिदिन 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।’ बीमा कंपनियों से कहा गया कि वे निरंतरता में सुधार लाने, गलत बिक्री पर अंकुश लगाने तथा पॉलिसीधारकों को वित्तीय नुकसान से बचाने और उनके लिए दीर्घकालिक लाभ बढ़ाने के लिए तंत्र स्थापित करें।

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