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जेईई एडवांस में सफल कुड़ी धान रोपाई से फीस के इंतजाम में जुटी

होनहार पथिक, मंजिल दूर : पंजाब के मेरिटोरियस स्कूलों के 19 बच्चों ने किया है कमाल, टॉपर्स को सीएम ने किया सम्मानित
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बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान के हाथों सम्मानित होतीं प्रभजोत कौर (बाएं) एवं धान रोपाई करते हुए।
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चरणजीत भुल्लर/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 5 जून

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बठिंडा जिले के गांव फुलेवाला की प्रभजोत कौर के लिए मंजिल अभी दूर है। शिक्षा की दौड़ में वह अव्वल रही है, लेकिन गरीबी बाधा बन गई है। प्रतिभावान छात्रा प्रभजोत इन दिनों धान की रोपाई कर रही है। जेईई एडवांस में सफल यह छात्रा अब आईआईटी में दाखिले के लिए फीस का इंतजाम करने में जुटी है। उसके परिवार ने 50 एकड़ में धान की रोपाई का ठेका लिया हुआ है। प्रभजोत का कहना है कि 15 हजार रुपये की काउंसलिंग फीस उसके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है।

बठिंडा के मेरिटोरियस स्कूल की इस छात्रा ने 12वीं में 93 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज इस छात्रा को बधाई दी और सम्मानित भी किया। पंजाब के मेरिटोरियस स्कूलों के 19 बच्चों ने जेईई एडवांस की परीक्षा पास की है। इनमें से अधिकतर बच्चों के पास ‘कमाइयां दा विहड़ा’ की उपाधि है। पठानकोट जिले के थरियाल गांव के गगनदीप सिंह आईआईटी में पढ़ना चाहते हैं और उन्होंने उक्त परीक्षा पास भी कर ली है।

गगनदीप के पिता शशि पाल इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं। मेरिटोरियस स्कूल मोहाली के छात्र गगनदीप का कहना है कि वह छुट्टियों में अपने पिता के साथ दिहाड़ी मजदूरी पर जाता है। उसके मुताबिक अगर फीस और हॉस्टल खर्च का इंतजाम नहीं हुआ तो उसे स्थानीय कॉलेज में दाखिला लेना पड़ेगा। इन बच्चों का कहना है कि अगर मेरिटोरियस स्कूल न होता तो उन्हें 12वीं तक की पढ़ाई नसीब नहीं होती।

रामपुरा फूल क्षेत्र के गांव सेलबराह का मजदूर बेअंत सिंह बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। उनकी बेटी सुखदीप कौर जेईई एडवांस में सफल रही। बेअंत सिंह कहते हैं कि वे सुखदीप की उच्च शिक्षा के लिए लोन का प्रबंध कर रहे हैं। जालंधर के मेरिटोरियस स्कूल से 12वीं पास करने वाला छात्र गुरनूर सिंह भी फीस के इंतजाम में जुटा है। उसके पिता मजदूरी करते हैं। बरनाला के गांव सेखां का हरकिरन अपने पिता के साथ डेढ़ एकड़ खेत में हाथ बंटाता है। मुक्तसर के गांव रथड़ीयां के जसप्रीत सिंह का पिता मनरेगा में दिहाड़ी मजदूर है। जसप्रीत बी-टैक करना चाहता है लेकिन उनके पास फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं।

यहां भी दिख रहा है सपना टूटता हुआ

जलालाबाद के गांव बारा सिंहवाला के हरीश सिंह को भी अपने सपने टूटते हुए दिख रहे हैं। उसने परीक्षा तो पास कर ली है, लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। इसी तरह अर्शप्रीत कौर एक बेलदार की बेटी है, लवप्रीत सिंह एक ड्राइवर का बेटा है और हरकिरन दास एक फैक्टरी वर्कर का बेटा हैं। इन सभी बच्चों ने जेईई एडवांस में सफलता हासिल करके अपनी काबिलियत तो दिखा दी है, लेकिन अब उन्हें कोई ऐसा रास्ता नहीं दिख रहा है, जिस पर चलकर वे अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर सकें। इन बच्चों को ऐसे सज्जनों का इंतजार है, जो उनका हाथ थाम सकें।

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