Kanwar Route Scan Rule : कांवड़ मार्ग पर सरकार के 'स्कैन नियम' पर घमासान, कोर्ट की शरण में याचिकाकर्ता
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा)
Kanwar Route Scan Rule : उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों के लिए क्यूआर कोड प्रदर्शित करने को अनिवार्य करने के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 जुलाई को सुनवाई करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के निर्देश का उद्देशय भोजनालयों के मालिकों के नाम और पहचान को उजागर करना है।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य लोगों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। शीर्ष न्यायालय ने पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश द्वारा जारी इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों और अन्य विवरणों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था।
झा ने उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा 25 जून को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा, “नए उपायों में कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों के लिए क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है ताकि मालिकों के नाम और पहचान का पता चले लेकिन इस तरह की भेदभावपूर्ण नीति पर न्यायालय पहले ही रोक लगा चुका है।”
याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार का निर्देश दुकान, ढाबा और रेस्तरां मालिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देश में स्टॉल मालिकों से ‘कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं' के तहत धार्मिक और जातिगत पहचान बताने को कहा गया है।
हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण' माह में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगाजल लेकर विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं। अनेक श्रद्धालु इस महीने में मांसाहार से परहेज करते हैं और अनेक लोग प्याज तथा लहसुन युक्त भोजन भी नहीं खाते।