Kalka-Shimla Bridge : भीषण आपदा के बाद फिर दौड़ी रेल... कालका-शिमला पुल का पुनर्निर्माण; टूटी राह को जोड़ा
जितेंद्र अग्रवाल
अंबाला शहर, 15 जुलाई
Kalka-Shimla Bridge : पिछले साल बादल फटने और बाढ़ से तबाह हुआ कालका-शिमला रेलमार्ग का ऐतिहासिक पुल संख्या 800 अब फिर से जीवन की रफ्तार से जुड़ गया है। कठिन भू-भाग, लगातार बारिश और सीमित संसाधनों के बीच इंजीनियरों ने महज 5 दिनों में इस क्षतिग्रस्त पुल को दोबारा खड़ा कर दिया। यह सिर्फ एक संरचनात्मक कामयाबी नहीं, बल्कि भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता, जुझारूपन और तकनीकी दक्षता का प्रतीक है, जिसने पहाड़ों के बीच टूटी राह को फिर से जोड़ दिया।
5 दिन में बहाल हुआ टूटा पुल
यह पुल 14 अगस्त 2023 को भीषण प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया था। उत्तर रेलवे की ब्रिज लाइन यूनिट और शिमला की तकनीकी टीम ने रात-दिन काम कर इस पुल का पुनर्निर्माण किया। स्थलों तक कठिन पहुंच, मौसम की मार और संसाधनों की सीमाओं के बावजूद तय ब्लॉक अवधि के भीतर कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। पुल पर लोकोमोटिव का ट्रायल भी सफल रहा, जिससे यह खंड फिर से सुरक्षित संचालन के लिए चालू हो गया है।
लेवल क्रॉसिंग पर पूर्णविराम: दो गेट हुए बंद
रेल सुरक्षा को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अंबाला मंडल ने दो व्यस्त लेवल क्रॉसिंग- LC संख्या 146 (सिरहिंद यार्ड) और LC संख्या 77 (एसएफएमयू यार्ड) को स्थायी रूप से बंद कर दिया है। इन स्थलों पर रोड अंडर ब्रिज (RUB) और लिमिटेड हाइट सबवे (LHS) का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इससे न केवल सड़क और रेल यातायात का टकराव समाप्त हुआ है, बल्कि हादसों की आशंका भी पूरी तरह मिट गई है। सिग्नलिंग सिस्टम को भी इस बदलाव के अनुरूप संशोधित किया गया है, ताकि परिचालन अब बिना लेवल क्रॉसिंग निर्भरता के सुचारु रूप से चल सके।
उन्नत तकनीक से ट्रैक पर निगरानी
सरहिंद और गोविंदगढ़ के बीच रेल सुरक्षा को और मजबूती देने के लिए उन्नत ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम स्थापित किया गया है। यह प्रणाली रियल टाइम में ट्रैक की निगरानी और नियंत्रण को संभव बनाती है, जिससे किसी भी संभावित खतरे की समय रहते पहचान की जा सकती है। यह पहल भारतीय रेलवे के डिजिटलीकरण और स्मार्ट निगरानी की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
आधुनिकीकरण की राह पर रेलवे
ये सफलताएं केवल तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि अंबाला मंडल की उस सोच का हिस्सा हैं, जिसमें यात्री सुरक्षा, संरचना की विश्वसनीयता और परिचालन क्षमता सर्वोपरि है। भारतीय रेलवे की व्यापक आधुनिकीकरण योजना के तहत अंबाला मंडल लगातार संरचनात्मक सुधार, डिजिटल नवाचार और सुरक्षा-संवेदनशील फैसले लेकर आगे बढ़ रहा है।