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Kaithal MNREGA Scam : विदेश में बैठे 'मजदूरों' की भारत में ऐसे हुई लाखों में कमाई, असलियत आई सामने तो उड़े सबके होश

मुख्यमंत्री ने 15 दिनों के भीतर विस्तृत मांगी जांच रिपोर्ट
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ललित शर्मा/ हमारे प्रतिनिधि

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कैथल, 10 जनवरी

क्या कोई जर्मनी, मलेशिया या फ्रांस में बैठकर भारत में खेतों में मजदूरी कर सकता है? सुनने में यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट लग सकती है, लेकिन कैथल के सीवन ब्लॉक में ऐसा ही घोटाला हुआ है। मनरेगा योजना के तहत विदेश में रहने वाले लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। उनकी 'हाजिरी' लगाकर लाखों रुपये की लूट मचाई गई।

इस खुलासे ने प्रशासन के होश उड़ा दिए। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए सरस्वती हेरिटेज के चार जेई और एक एबीपीओ को कार्यमुक्त कर दिया। सभी को चंडीगढ़ मुख्यालय से अटैच किया गया है और मुख्यमंत्री ने 15 दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।

फर्जी मजदूरों का 'खेल'

गांव ककराला अनायत के निवासी अमरीक सिंह ने जब इस घोटाले की शिकायत की, तो पूरे सिस्टम की सच्चाई सामने आई। उनके गांव के 40 से अधिक लोग, जो जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल और मलेशिया जैसे देशों में रह रहे हैं, उनके नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। इन 'मजदूरों' के खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए।

हालांकि असलियत कुछ और थी। इन विदेशों में बसे लोगों को मामूली रकम दी गई, जबकि लाखों रुपये अधिकारियों और मेट्स ने आपस में बांट लिए। गांव में असली मजदूरों की संख्या केवल 40 थी, लेकिन कागजों पर 328 मजदूर दिखाए गए।

मुख्यमंत्री का कड़ा संदेश

7 जनवरी को जिला स्तरीय विकास समन्वय और निगरानी समिति की बैठक में यह मामला गुहला के विधायक देवेंद्र हंस ने सांसद नवीन जिंदल के सामने उठाया था। जांच रिपोर्ट में जेई सोनू, शैलेंद्र कुमार, शुभम धीमान और मनीष कुमार के काम में गंभीर खामियां पाई गईं। सीवन की पूर्व एबीपीओ प्रियंका भी दोषी पाई गईं।मुख्यमंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए इन सभी को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया और चंडीगढ़ मुख्यालय में रिपोर्ट करने का आदेश दिया।

सवालों के घेरे में सिस्टम

यह घोटाला सिर्फ आर्थिक लूट नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि किस तरह सरकारी योजनाओं का लाभ असली जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता। क्या यह घोटाला केवल कैथल तक सीमित है या इसका दायरा और बड़ा है? क्या इस गड़बड़ी में उच्च स्तर के अधिकारियों की भी भूमिका है? सबसे बड़ा सवाल, इस भ्रष्टाचार से मनरेगा जैसी योजनाओं की साख पर क्या असर पड़ेगा?

क्या होगा आगे?

सरकार इस मामले की गहन जांच कर रही है। दोषियों को सजा मिलेगी, यह तय है। लेकिन यह घोटाला एक बड़ी चेतावनी है कि सरकारी योजनाओं की निगरानी को और सख्त करने की जरूरत है। सभी की नजरें अब उस रिपोर्ट पर हैं, जो अगले 15 दिनों में मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी।

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