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सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल के भीतर न्याय : शाह

नये अापराधिक कानून लागू
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नयी दिल्ली, 1 जुलाई (एजेंसी)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नये आपराधिक कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट के स्तर तक न्याय मिलेगा। शाह ने नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि भविष्य में अपराधों में कमी आएगी और नये कानूनों के तहत 90 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि होने की संभावना है।

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भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता , दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।

गृह मंत्री ने कहा, ‘नये कानून, आधुनिक न्याय प्रणाली को स्थापित करते हैं, जिनमें जीरो एफआईआर, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।’ शाह ने बताया कि नये कानून के तहत पहला मामला ग्वालियर में रविवार रात 12 बजकर 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी का दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया अब समयबद्ध होगी और नये कानून न्यायिक प्रणाली के लिए समय सीमा निर्धारित करते हैं। बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक अध्याय जोड़कर नये कानूनों को अधिक संवेदनशील बनाया गया है।

विपक्ष के आरोप घिसे-पिटे

विपक्षी नेताओं के विरोध पर शाह ने कहा, ‘मैं किसी से भी मिलने के लिए तैयार हूं। हम मिलेंगे और समीक्षा भी करेंगे। लेकिन, कृपया (इस मुद्दे पर) राजनीति न करें।’ शाह ने इस आलोचना को खारिज कर दिया कि तीन नये आपराधिक कानून कठोर और दमनकारी हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून आधुनिक हैं, पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करने के साथ ही पुलिस बलों की जवाबदेही तय करते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष के आरोप संकीर्ण और घिसे-पिटे हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना है।

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