नयी दिल्ली, 12 मई (एजेंसी)
खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में सालाना आधार पर बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई, जो आठ साल का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले मई, 2014 में यह 8.33 प्रतिशत के स्तर पर रही थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 और अप्रैल, 2021 में 4.23 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य की ऊपरी सीमा से अधिक रही। जनवरी, 2022 से यह छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली श्रेणी में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 10.80 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 7.52 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन माह में तेल और वसा श्रेणी में मुद्रास्फीति 17.28 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों की मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.41 प्रतिशत रही, जो मार्च में 11.64 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अधिक आधार प्रभाव के कारण मई, 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति कुछ कम हो सकती है, हालांकि यह 6.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
नीतिगत दरों में फिर हो सकती है बढ़ोतरी : अनुमान जताया जा रहा है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी नीतिगत समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में एक और बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक की अचानक आयोजित मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया था। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के स्तर पर रहे, जिसमें ऊपर-नीचे दो प्रतिशत तक घट-बढ़ हो सकती है।
औद्योगिक उत्पादन 1.9% बढ़ा, 2021-22 में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि
देश का औद्योगिक उत्पादन मार्च, 2022 में 1.9 प्रतिशत बढ़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। समीक्षाधीन महीने में खनन उत्पादन 4 और बिजली उत्पादन 6.1 प्रतिशत बढ़ा। मार्च, 2021 में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 24.2 प्रतिशत बढ़ा था। वित्त वर्ष 2021-22 में औद्योगिक उत्पादन में 11.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जबकि, 2020-21 में इसमें 8.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। मार्च, 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से औद्योगिक उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। उस समय इसमें 18.7 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। अप्रैल, 2020 में औद्योगिक उत्पादन 57.3 प्रतिशत घटा था। उस समय महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था, जिससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं।
5 दिन में 18.74 लाख करोड़ का नुकसान
घरेलू शेयर बाजारों में पिछले पांच कारोबारी दिनों से जारी गिरावट से निवेशकों को 18.74 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बृहस्पतिवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में नीचे आया। बीते शुक्रवार से जारी गिरावट से सेंसेक्स अब तक 2,771.92 अंक यानी 4.97 प्रतिशत तक लुढ़क चुका है। अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति के बीच वैश्विक स्तर पर नकारात्मक रुख के चलते बृहस्पतिवार को सेंसेक्स 53,000 अंक और निफ्टी 16,000 अंक से नीचे फिसल गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई। बीएसई सेंसेक्स 1158.08 अंक फिसलकर दो महीने के सबसे निचले स्तर 52,930.31 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह एक समय 1386 अंक तक फिसला। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 359.10 अंक यानी 2.22 प्रतिशत लुढ़कर 15,808 अंक पर बंद हुआ। विप्रो को छोड़कर सेंसेक्स की सभी कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे। इंडसइंड बैंक के शेयर में सबसे अधिक 5.82 प्रतिशत की गिरावट आई। मूल्य के लिहाज से एचडीएफसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे अधिक नुकसान हुआ।