Industrial Development : हरियाणा में बनेंगे 10 नए औद्योगिक शहर, तलाशी जा रही जमीन; लैंड पूलिंग पॉलिसी का लाभ ले सकेंगे भू-मालिक
दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 28 जून।
हरियाणा की नायब सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक विकास का खाका तैयार कर लिया है। खरखौदा (सोनीपत) स्थित आईएमटी (इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप) की तर्ज पर प्रदेश के 10 और शहरों में आईएमटी स्थापित होंगी। आईएमटी के लिए सरकार ने जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। इसके लिए सभी जिला उपायुक्तों को मुख्यमंत्री नायब सिंह पहले ही निर्देश दे चुके हैं। सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) द्वारा इस संदर्भ में उपायुक्तों से रिपोर्ट भी ली जा रही है ताकि इस दिशा में जल्द काम शुरू हो सके।
मनोहर लाल सरकार के समय खरखौदा आईएमटी में मारुति के प्लांट के लिए 800 एकड़ जमीन दी गई थी। इसी तरह सुजुकी को दोपहिया वाहनों के प्लांट के लिए भी 100 एकड़ जमीन दी गई है। मारुति अपने प्लांट के पहले चरण की शुरूआत भी कर चुकी है। गुरुग्राम व मानेसर के बाद अब खरखौदा में भी मारुति की गाड़ियों का उत्पादन शुरू हो चुका है। खरखौदा में आईएमटी आने के बाद इस एरिया में औद्योगिक विकास तेजी से बढ़ रहा है। और भी कई प्राइवेट कंपनियों आईएमटी में अपने प्लांट लगा रही हैं।
भाजपा ने 2024 के चुनावी संकल्प-पत्र में राज्य में 10 नए औद्योगिक शहर विकसित करने का वादा किया था। चुनावी नतीजों के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस संदर्भ में चंडीगढ़ में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इस संदर्भ में सभी जिला उपायुक्तों के साथ भी उन्होंने बैठक की और उन्हें जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिए। आईएमटी के लिए कम से कम 1500 एकड़ जमीन चाहिए। इसीलिए खरखौदा आईएमटी का भी विस्तार किया जा रहा है ताकि और जमीन का प्रबंध किया जा सके।
आईएमटी की स्थापना एचएसआईआईडीसी (हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन) द्वारा की जाएगी। एचएसआईआईडीसी द्वारा भी इस संदर्भ में जिला उपायुक्तों के साथ संपर्क बनाया हुआ है। निगम के अधिकारी कई जिलों का दौरा करके उपायुक्तों द्वारा सुझाई गई जमीन का मुआयना भी कर चुके हैं। आईएमटी के लिए क्योंकि काफी अधिक जमीन की जरूरत है, इसलिए सरकार जमीन का अधिग्रहण करने की बजाय ई-भूमि पोर्टल के जरिए किसानों से जमीन इकट्ठा करने के पक्ष में है।
औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए सरकार ने ई-भूमि पोर्टल पर लैंड-पूलिंग सहित सरकार की अन्य योजनाओं का भी खुलासा किया हुआ है। भू-मालिक अगर चाहें तो सरकार को एकमुश्त कीमत में अपनी जमीन बेच सकते हैं। लैंड-पूलिंग स्कीम में किसानों को प्रोजेक्ट में भागीदारी के साथ-साथ विकसित औद्योगिक क्षेत्र में प्लाट देने की भी योजना है। किसानों के सामने सभी विकल्प खुले हैं।
पंचायती भूमि पर संभव नहीं
आईएमटी की स्थापना प्राइवेट भूमि पर ही होगी। शामलात व पंचायती भूमि का सरकार इस्तेमाल नहीं कर सकती। ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की एवज में सरकार भू-मालिकों को कलेक्टर रेट से डबल पैसा भी देने को तैयार है। हालांकि अभी तक जमीन की तलाश ही जारी है। इसके लिए डीसी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर कमेटियों का गठन किया हुआ है। डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी एचएसआईआईडीसी के पास प्रस्ताव भेजती है। इसके बाद यह केस मुख्यमंत्री के पास जाता है। फिर हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में जमीन के रेट तय होते हैं।
लैंड पूलिंग पॉलिसी बनेगी
एचएसआईआईडीसी द्वारा लैंड पूलिंग पॉलिसी में बदलाव भी किया जा रहा है। इसी तरह से लैंड पार्टनरशिप पॉलिसी पर भी काम चल रहा है। निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जल्द ही पॉलिसी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद ई-भूमि पोर्टल पर जमीन जुटाना और भी आसान हो सकता है। भूमि अधिग्रहण कानून में कड़े नियमों के चलते सरकार जमीन का अधिग्रहण करने से बचती है। इसी वजह से पूर्व की मनोहर सरकार के समय ई-भूमि पोर्टल की शुरूआत हुई थी। हालांकि 2013-14 में केंद्र की यूपीए सरकार के समय बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून में कई बार संशोधन भी किए गए हैं।