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ISS के लिए चयनित भारतीय गगनयात्रियों ने प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा किया

Indian Space Mission: प्रशिक्षण में उन्हें अंतरिक्ष से फोटोग्राफी, दैनिक परिचालन दिनचर्या के बारे में बताया गया
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प्राइम ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर की फाइल फोटो। स्रोत एक्स अकाउंट Indian Air Force @IAF_MCC
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बेंगलुरु, 30 नवंबर (भाषा)

Indian Space Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organisation, ISRO) ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station, ISS) के ‘एक्सिओम-4 मिशन' (Axiom-4 Mission) के लिए चुने गए दो भारतीय गगनयात्रियों (Astronauts) ने प्रशिक्षण का प्रारंभिक चरण पूरा कर लिया है।

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इसरो ने बताया कि आईएसएस पर इसरो एवं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration, NASA) के संयुक्त प्रयास को पूरा करने के लक्ष्य की दिशा में ‘एक्सिओम मिशन 4' के लिए चुने गए दो गगनयात्रियों प्राइम ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ने अगस्त 2024 के पहले सप्ताह से अमेरिका (USA) में अपना प्रशिक्षण शुरू किया था।

इसने कहा कि गगनयात्रियों ने प्रशिक्षण का प्रारंभिक चरण (Initial Phase of Training) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि प्रशिक्षण के इस चरण में गगनयात्रियों ने मिशन से संबंधित जमीन पर मौजूद सुविधा केंद्रों का भ्रमण, मिशन के प्रक्षेपण चरणों का प्रारंभिक अवलोकन (Initial Observation of Launch Phases), स्पेसएक्स सूट (SpaceX Suit) की फिटिंग जांच और अंतरिक्ष भोजन विकल्पों का चयन करने समेत प्रारंभिक प्रशिक्षण से जुड़ी गतिविधियों को पूरा कर लिया है।

इसके अलावा, प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न सत्रों में गगनयात्रियों को ‘स्पेसएक्स ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान (SpaceX Dragon Spacecraft) और आईएसएस की विभिन्न प्रणालियों से अवगत कराया गया। उन्हें अंतरिक्ष से फोटोग्राफी (Space Photography), दैनिक परिचालन दिनचर्या और संचार प्रोटोकॉल के बारे में बताया गया।

इसरो ने कहा कि इस चरण में अंतरिक्ष में चिकित्सकीय आपात स्थितियों (Medical Emergencies in Space) समेत विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया।

इससे आगे का प्रशिक्षण मुख्य रूप से आईएसएस के अमेरिकी कक्षीय खंड (American Orbital Segment) के शेष मॉड्यूल (Remaining Modules) पर केंद्रित होगा। इसके अलावा, मिशन के दौरान सूक्ष्मगुरुत्व वातावरण (Microgravity Environment) में वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगों (Scientific Research Experiments) के संचालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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